CM शिवराज का ऐलान, पद्मावत का विरोध करने वालों पर दर्ज केस वापस होंगे, पद्मावती का शौर्य कोर्स में करेंगे शामिल
बुधवार, 28 अक्टूबर 2020 (17:03 IST)
इंदौर। विजयादशमी पर राजपूत समुदाय के यहां आयोजित पारंपरिक शस्त्रपूजन समारोह के दौरान थोड़ी देर के लिए हंगामे की स्थिति बन गई, जब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के भाषण के बीच कुछ श्रोताओं ने जातिगत आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी।
सूबे की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को होने वाले उपचुनावों से पहले आयोजित इस समारोह में चौहान अपने व्यस्त चुनावी कार्यक्रम के बावजूद शरीक हुए। इसमें राजपूत समुदाय के सैकड़ों लोगों के साथ भाजपा नेता भी शामिल हुए।
चश्मदीदों के मुताबिक समारोह में मुख्यमंत्री का भाषण जब समाप्ति की ओर था, तब श्रोताओं में शामिल कुछ महिलाएं और पुरुष अपनी कुर्सी से उठे और जातिगत आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ अचानक नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने 'मामाजी (चौहान का लोकप्रिय उपनाम) सबको नौकरी दो' और 'हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते' जैसे नारे भी लगाए। नारेबाजी के बीच अपने व्यस्त चुनावी कार्यक्रम का हवाला देकर मुख्यमंत्री समारोह स्थल से रवाना हो गए।
नारे लगाने वाली महिलाओं में शामिल सरला सोलंकी ने कहा कि सरकारी क्षेत्र की शिक्षा तथा नौकरियों में समाज के सभी वर्गों को समान अवसर दिए जाने चाहिए और जातिगत आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था खत्म की जानी चाहिए।
कार्यक्रम में हंगामा करने वाले मनोहर रघुवंशी ने खुद को कांग्रेस समर्थक बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को चुनावों के दौरान ही राजपूत समुदाय की याद आती है। मैं जब इस बात को लेकर उनके सामने विरोध जता रहा था तो कुछ पुलिसकर्मी मुझे पकड़कर ले गए और बाथरूम के पास एक कोने में बंद कर दिया। इस तरह मेरी आवाज को दबा दिया गया।
इससे पहले मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में बताया कि भोपाल की मनुआभान टेकरी पर रानी पद्मावती का स्मारक बनाने का फैसला काफी पहले ही किया जा चुका है और इसके लिए प्रदेश की राजधानी में जमीन भी आरक्षित हो चुकी है। उन्होंने संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म 'पद्मावत' (2018) को 'समाज के सम्मान पर आघात' बताते हुए कहा कि इस बॉलीवुड शाहकार को सूबे में प्रतिबंधित कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री ने बताया कि हमने राज्य में इस फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर दर्ज सारे मामले वापस लेने का फैसला किया है, क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने अन्याय का विरोध किया था। उन्होंने यह भी बताया कि रानी पद्मावती की वास्तविक जीवन गाथा को अगले सत्र से राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही बहादुरीभरे काम करने वाले पुरुषों और महिलाओं के हौसले को सलाम करने के लिए क्रमश: महाराणा प्रताप और रानी पद्मावती के नाम पर 2-2 लाख रुपए के वार्षिक पुरस्कार शुरू किए जाएंगे। (भाषा)