भोपाल। कहते हैं कि नाम में क्या रखा है लेकिन नाम के चलते बहुत कुछ ऐसा भी हो जाता है जो कि नहीं होना चाहिए। इन कारणों के चलते ही लोग नाम बदलवाने की मशक्कत करते हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में एक गांव का नाम 'छक्का' क्या था कि लोग इसी नाम से गांव में रहने वालों का मजाक उड़ाते थे। समूचे देश में 'छक्का' का अर्थ 'हिजड़े' से भी लगाया जाता है, इसलिए गांववालों ने एकजुट होकर गांव का नाम बदलवाया।
पन्ना के राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक गांव का नाम वर्ष 1924 में महगवां छक्का चला आ रहा था और किसी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह नाम किसने और क्यों रखा। वर्ष 2013 में गांव की पंचायत ने नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था और इसकी जानकारी तत्कालीन शाहनगर तहसीलदार फैज मोहम्मद को दी गई थी। करीब दो वर्ष पहले राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को गांव का नाम बदलने संबंधी अर्जी भेजी थी क्योंकि केन्द्र सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य होती है और इसके बाद ही राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में परिवर्तन होता है।
विदित हो कि 7 सितंबर, 2017 को केन्द्र सरकार की स्वीकृति के बाद ऐसा संभव हुआ और इसमें पांच वर्ष लग गए। विदित हो कि पांच वर्ष पहले छतरपुर जिले के एक तहसील मुख्यालय का नाम ही लौंडी (लड़की) था जिसे बाद में लवकुशनगर नाम से बदला गया। हालांकि कई सरकारी इमारतों में नाम बदल गया है, लेकिन पोस्ट ऑफिस और बैंकों की शाखाओं के नाम अभी भी लौंडी के नाम पर हैं।