भोपाल। मध्यप्रदेश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने दावा किया कि उज्जैन में स्थित प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के विकास और विस्तार की योजना 2019 में कमलनाथ नीत तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बनाई थी, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा ने इस दावे को खारिज कर दिया है।
मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने दावा किया कि महाकाल मंदिर के विकास और विस्तार की योजना अगस्त 2019 में कमलनाथ नीत तत्कालीन शासन के दौरान तैयार की गई थी। उन्होंने कहा कि 300 करोड़ रुपये की इस योजना का विस्तृत ब्योरा महाकाल मंदिर के पुजारियों और मंत्रिमंडल के सदस्यों के सम्मुख रखा गया था और इसे तेजी से पूरा करने के लक्ष्य से मंत्रियों की एक त्रिस्तरीय समिति भी गठित की गई थी।
वहीं, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि कमलनाथ जी को झूठ बोलने का शगल है। कमलनाथ जी से प्रार्थना है कि कम से कम भगवान भोलेनाथ को, महाकाल को तो बख्श देते।
उन्होंने कहा कि महाकाल मंदिर के विकास का प्रस्ताव 2017 में तैयार किया गया था और इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में एक साल में तैयार की गई थी। मिश्रा ने दावा किया कि 2018 में चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए इसके लिए निविदाएं जारी की गई थीं। इसके बाद प्रदेश में नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद 18 दिसंबर 2018 को कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
उन्होंने बताया कि कमलनाथ की सरकार 23 मार्च 2020 को गिरने के बाद चौहान फिर से सत्ता में आये, तब इसे पुन: विस्तारित किया और 856 करोड़ रुपए का इसका प्रस्ताव बना। पहले चरण पर 351 करोड़ रुपए की लागत आई है जिसका प्रधानमंत्री मोदी आज लोकार्पण करने वाले हैं। वहीं दूसरे चरण पर 310 करोड़ रुपए की लागत आएगी।