सुरेश, भला 50 साल का रिश्ता भी कोई यूं तोड़ता है.. आपको तो संघर्ष के दिनों में संबल बनकर साथ खड़ा होना था। क्या धर्म यह नहीं सिखाता कि अपनों के सुख-दुख में साथ रहें? राम मंदिर #RamMandir में आस्था उचित है लेकिन राम की मर्यादा को क्यों भूल गए?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 9, 2024
सच का साथ देने के लिए संघर्ष के पथ पर…