बच्चों के धर्मांतरण के मामलों में शिवराज सरकार उदासीन, बोले NCPCR अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, यूनिसेफ के कामकाज पर भी उठाए सवाल
भोपाल। मध्यप्रदेश में स्कूलों में लगातार सामने आ रहे बच्चों के धर्मांतरण से जुड़े मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो वेबदुनिया से खास बातचीत में कहा कि "बच्चों के धर्मांतरण के मामले में मध्यप्रदेश सरकार को सख्ती से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोग के पास ऐसे मामलों का ढेर लगा हुआ है जिन पर प्रशासनिक उदासीनता के कारण कार्रवाई नहीं हो रही है। मैं मध्यप्रदेश सरकार को आगाह करना चाहूंगा खासतौर पर गृह विभाग की वह धर्मांतरण के मामलों में सख्त कार्रवाई करे"।
NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि मध्यप्रदेश देश के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जहां धर्मांतरण विरोधी कानून है लेकिन दुर्भाग्य है कि सरकार उसका पूरा उपयोग नहीं कर पा ऱही है। प्रियंक कानूनगो कहते हैं कि भोपाल के शिबू थॉमस नाम के एक शख्स की झूठी रिपोर्ट ने दुनिया में भारत को बदनाम करने का काम किया लेकिन सरकार उस पर कार्रवाई नहीं कर सकी।
MP यूनिसेफ के कामकाज पर नाराजगी- NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो वेबदुनिया से बातचीत में बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ के कामकाज पर भी नारजगी जाहिर करते है। वह कहते हैं कि आयोग ने मध्यप्रदेश में पाया है कि यूनिसेफ के साथ काम करने वाले NGO बच्चों के डेटा को इधर-उधर कर फंडिग कलेक्ट कर रहे है। इसके साथ मध्यप्रदेश में यूनिसेफ के कर्मचारी को सीधे तौर पर पॉलिटिक्ल एक्टविटी सें संलिप्त पाया है और वह व्यक्ति एक पक्ष विशेष के संबंध में बात करते है।
बच्चों के प्रति संवेदनशील मोदी सरकार- NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के प्रति बहुत संवेदनशील है। वह कहते हैं कि पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन स्कीम से मोदी सरकार की बच्चों के प्रति संवेदनशीलता का पता चलता है। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन स्कीम कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए मोदी सरकार की अभिनव योजना है और आने वाले समय दुनिया के अन्य देश इसको अपनाएंगे।