कमलनाथ क्यों भाजपा के लिए 'जरूरी' और कांग्रेस की बने 'मजबूरी'?

विकास सिंह

सोमवार, 19 फ़रवरी 2024 (11:39 IST)
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर सियासी अटकलों का दौर जारी है। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ क्या कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा में शामिल होगा इसको लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक हाईवोल्टेज सियासी ड्रामा चल रहा है। भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच शनिवार को अचानक सांसद पुत्र नकुलनाथ के साथ दिल्ली पहुंचे कमलनाथ ने अब तक भाजपा में शामिल होने की खबरों को न तो स्वीकार किया है और न खंडन किया है। आज खुद कमलनाथ मीडिया के सामने आकर पूरी स्थिति साफ कर सकते है।

कमलनाथ के भाजपा में जाने की खबरों का जहां एक ओर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता पूरी ताकत के साथ खंडन करने में जुटे है वहीं मध्यप्रदेश के भाजपा नेता कमलनाथ को भाजपा में शामिल होने का खुला ऑफर दे रहे है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर कमलनाथ क्यों कांग्रेस के जरूरी और आखिर भाजपा की क्या मजबूरी है कि वह लोकसभा चुनाव में पहले कमलनाथ को पार्टी में शामिल करना चाहती है।

कमलनाथ कांग्रेस के लिए क्यों बने 'मजबूरी'?- कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की खबरों का लगातार खंडन प्रदेश कांग्रेस के नए नवेले अध्यक्ष जीतू पटवारी कर रहे है। जीतू पटवारी ने कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलों का ठीकरा भाजपा और मीडिया पर फोड़ रहे है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि “भारतीय जनता पार्टी मीडिया का दुरूपयोग कर किसी भी राजनेता की छवि ख़राब करने और उसकी अपने दल के प्रति प्रतिबद्धता पर संदेह पैदा करने का षड्यंत्र रचती रही है। मेरी कमलनाथ जी से चर्चा हुई है, कमलनाथ जी ने स्पष्ट किया है कि मीडिया में चल रही खबरें निराधार और षड्यंत्र का हिस्सा है। कमलनाथ जी ने कहा है कि मैं हमेशा कांग्रेसी था, कांग्रेसी हूँ और कांग्रेसी ही रहूँगा। गांधी परिवार के साथ कमलनाथ जी के प्रगाढ़ रिश्ते हैं। ये रिश्ते परिस्थितियों के साथ बदलने वाले नहीं हैं। कमलनाथ जी हमेशा कांग्रेस की विचारधारा के साथ जिये हैं और जियेंगे ऐसी भावना उन्होंने व्यक्त की है”।

कमलनाथ भले ही भाजपा में शामिल होने की खबरों का खंडन नहीं कर रहे हो लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की आखिरी कौन सी मजबूरी है कि वह कमलनाथ का बचाव पूरी ताकत के साथ कर रहे है। दरअसल कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस का वह चेहरा है जिनके आसपास प्रदेश कांग्रेस की सियासत पांच दशक से घूमती रही है। वहीं 2017 में मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमान अपने हाथों में संभालने के बाद कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस में नई जान फूंक दी थी और 2018 में कांग्रेस को 15 साल बाद सत्ता में वापसी करा दी थी। बीते सात सालों में कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस संगठन पर मजबूत पकड़ बनाई है। ऐसे में अगर कमलनाथ कांग्रेस छोड़ते है तो प्रदेश कांग्रेस संगठन दो भागों में टूट जाएगा। ऐसे में जब विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बुरी तरह टूट चुका है, ऐसे में अगर कमलनाथ भाजपा में शामिल होंगे तो यह पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए बड़े झटके से कम नहीं होगा। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व जहां कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की खबरों के खड़न में जुटा है वहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व लगातार कमलनाथ से चर्चा कर उनको मनाने में जुटा हुआ है।

कमलनाथ भाजपा के लिए क्यों 'जरूरी'?- पिछले साल के आखिरी में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कमलनाथ जो भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है आखिर वह कमलनाथ लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की क्यों जरूरत बन गए यह भी एक बड़ा सवाल है।

दरअसल विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद  भाजपा  के केंद्रीय नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतने का टारगेट सेट किया। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा मोदी लहर में भी कमलनाथ का गढ़ माने जाने वाली छिंदवाड़ा लोकसभा सीट लाख कोशिशों के बाद भी नहीं जीत सकी थी। वहीं पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा छिंदवाड़ा में अपना खाता नहीं खोल पाई और उसको छिंदवाड़ा संसदीय सीट में आने वाली सभी सातों विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में मिशन 29 को पूरा करने के लिए भाजपा कमलनाथ को पार्टी में लाना चाहती है।

वहीं कमलनाथ की गिनती बीते पांच दशक से गांधी परिवार के सबसे करीबी नेताओं में होती है। इंदिरा गांधी के तीसरे पुत्र की संज्ञा पाने वाले कमलनाथ गांधी परिवार के भरोसेमंद के साथ पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार भी माने जाते है। ऐसे में भाजपा कमलनाथ को पार्टी में लाकर सीधे गांधी परिवार को टारगेट करने की कोशिश में है। भाजपा कमलनाथ के जरिए यह संदेश देने की कोशिश मे है कि अब गांधी परिवार का पार्टी पर कोई नियंत्रण नहीं बचा  है और कांग्रेस में गांधी परिवार के खिलाफ एक गुस्सा और नाराजगी है। वहीं कांग्रेस राहुल गांधी जो इन दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर पार्टी को मजबूती देने की कोशिश कर रहे है तब भाजपा कमलनाथ के जरिए राहुल गांधी को एकजुटता मुहिम की हवा निकालने की कोशिश में जुटी है।

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