भोपाल। कोरोनाकाल में हो रहे मध्यप्रदेश के उपचुनाव में राजनीतिक रैलियों में बढ़ती भीड़ के बाद अब जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सख्त तेवर दिखाए है। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राजनीतिक आयोजनों में कोरोना प्रोटोकॉल को दरकिनार कर भीड़ जुटाने वाले नेताओं और उन्हें नहीं रोक पाने वाले अफसरों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अपने आदेश में गृह विभाग के उस फैसले पर भी रोक लगा दी है जिसमें राजनीतिक आयोजन में 100 लोगों की बाध्यता खत्म करने की छूट दे दी गई थी। हाईककोर्ट के इस आदेश के बाद अब चुनावी रैलियों में 100 से अधिक लोगों की भीड़ नहीं जुट सकेगी। इस पूरे मामले पर हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए केस की अगली सुनवाई से पहले जवाब देने को कहा है।
जबलपुर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ चुनावी रैलियों में कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाने जाने को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए उन नेताओं पर भी एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं जिनकी चुनावी सभा में भारी भीड़ जुटाई गई। इनमें पूर्व सीएम कमलनाथ, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत, भाजपा उम्मीदवार प्रदुय्मन सिंह तोमर,मुन्नालाल गोयल और कांग्रेस उम्मीदवार फूल सिंह बरैया और सुनील शर्मा शामिल है।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कोविड-19 गाइडलाइन उल्लंघन के मामले में ग्वालियर चंबल संभाग के 7 जिलों के कलेक्टर और एसपी को 14 अक्टूबर तक उनके इलाके में राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल हुए नेताओं पर मामले दर्ज करने के आदेश दिए हैं। जिन लोगों पर हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं उन सभी नेताओं पर की पर अपनी चुनावी रैली में तय संख्या से अधिक लोगों के शामिल होने का आरोप है।