उज्जैन के प्रसिद्ध कालभैरव मंदिर उज्जैन की सदियों पुरानी परंपरा फिलहाल बंद है। दरअसल, यहां भैरवनाथ को मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है। ऐसे में लगभग सभी श्रद्धालु अन्य प्रसाद के साथ ही मदिरा का भोग भी लगाते हैं।
हालांकि कोरोना लॉकडाउन के बाद से मंदिर में मदिरा चढ़ाने की परंपरा पर फिलहाल रोक लगी हुई है। लेकिन, ऐसे में असमंजस की स्थिति उस समय उत्पन्न हो जाती है, बाहर से आने वाले व्यक्ति चढ़ावे के लिए मदिरा तो खरीद लेते हैं, लेकिन मंदिर में प्रवेश के बाद उन्हें चढ़ाने की अनुमति नहीं मिलती।
बताया जा रहा है कि कई बार विवाद की स्थिति भी निर्मित हो जाती है। शराब खरीदने के बाद जब लोग मंदिर में जाते हैं और वहां उन्हें शराब चढ़ाने की अनुमति नहीं मिलती है तो फिर बाहर आकर दुकान पर शराब वापस करने का आग्रह करते हैं, लेकिन दुकानदार वापस नहीं लेता। इसी के चलते कई बार विवाद भी होता है।
कितना प्राचीन है मंदिर : कालभैरव का यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना माना जाता है। प्राचीन समय में यहां सिर्फ तांत्रिकों को ही आने की अनुमति थी। कालान्तर में ये मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया। कालभैरव को मदिरा चढ़ाने का सिलसिला भी सदियों से ही चला आ रहा है। खास अवसरों पर प्रशासन की ओर से भी बाबा को मदिरा चढ़ाई जाती है।