अनंत चतुर्दशी : कालिया के फन पर नाचेंगे कन्हैया, दिखेगा देशभक्ति का नजारा

इंदौर की कपड़ा मिलें तो काफी पहले ही बंद हो चुकी हैं, लेकिन अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली झांकियों की परंपरा अब भी जीवित है। हालांकि कोरोना महामारी के दौर में कई परंपराएं टूट गईं, अहिल्या नगरी इंदौर की करीब 100 साल पुरानी झांकियों की परंपरा पर भी दो साल के लिए ब्रेक लग गया था। लेकिन, इस छोटे से विराम के बाद एक बार फिर इंदौर की सड़कों पर झांकियां झिलमिलाने के लिए तैयार हैं। गणेशोत्सव समितियों ने कड़ी मेहनत और पूरे उत्साह के साथ इस बार झांकियां बनाई हैं।
हालांकि झांकियां बनाने वाली समितियों की एक पीड़ा जरूर सामने आई कि झांकियां बनाने के लिए उन्हें पर्याप्त धन नहीं मिल पाता। यदि उन्हें समय पर धन और आवश्यक सुविधाएं मिल जाएं तो वे इस परंपरा को और समृद्ध बना सकते हैं। इस बार ज्यादातर झांकियों की थीम धार्मिक विषयों पर केन्द्रित है, वहीं कुछेक देशभक्ति पर भी केन्द्रित हैं।
हुकुमचंद मिल गणेशोत्सव समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र श्रीवंश ने वेबदुनिया से बातचीत करते हुए बताया कि कोरोना के 2 साल बाद एक बार फिर हम परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं। हुकुमचंद मिल का यह 99वां साल है। पहली बार 1924 में इसी मिल से झांकी निकाली गई थी। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के बावजूद हमने झांकियां बनाने की कोशिश की है। इसके लिए 15 हजार बल्वों के साथ आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया है। बंगाल से आई कलाकारों की टीम एक महीने तक झांकी निर्माण के काम में लगी रही। 
मालवा मिल गणेशोत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश कुशवाह ने वेबदुनिया से बातचीत करते हुए बताया कि हम 88वें वर्ष में झांकियां निकाल रहे हैं। हालांकि बड़ी दिक्कत के बाद झांकियां निकल रही हैं। हमें आईडीए, नगर निगम, सज्जन वर्मा, सत्यनारायण पटेल, विधायक रमेश मेंदोला से झांकी निर्माण के लिए आर्थिक सहयोग मिला है। हमने 3 झांकियां बनाई हैं। इनमें एक झांकी भगवान शिव पर केन्द्रित है, जिनकी परिक्रमा करते हुए भगवान गणेश दिखाई देंगे। दो अन्य झांकियां भी धार्मिक थीम पर आधारित हैं। इनमें एक अयोध्या के राम मंदिर पर केन्द्रित है, जबकि दूसरी ब्रज की होली पर आधारित है। 
राजकुमार मिल गणेशोत्सव समिति के अध्यक्ष कैलाश सिंह ठाकुर ने बताया कि हम इस बार 3 झांकियां निकाल रहे हैं। दो साल के बाद कलाकारों और कार्यकर्ताओं के साथ शहर की जनता में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। हमने 1913 से 1918 तक पहला पुरस्कार प्राप्त किया था। हमारी कोशिश इस बार भी पहला पुरस्कार जीतने की है। एक झांकी में हमने भोलेनाथ का तांडव स्वरूप दिखाया है, वहीं दूसरी डबल मंजिल झांकी देशभक्ति पर केन्द्रित है। ठाकुर ने कहा कि झांकियों का ऑनलाइन सर्वेक्षण भी करवाया जाना चाहिए, ताकि लोग स्वयं सर्वश्रेष्ठ झांकी का चयन कर सकें। 
कल्याण मिल गणेशोत्सव समिति के अध्‍यक्ष हरनाम सिंह धारीवाल ने झांकी निर्माण की जानकारी देते हुए वेबदुनिया को बताया कि यह हमारा 94वां वर्ष है। हालांकि कोविड के चलते 2 साल झांकियां नहीं निकाल पाए। इस साल झांकियों को लेकर काफी उत्साह है। हमारी एक झांकी धार्मिक विषय पर केन्द्रित है, जबकि एक झांकी लोगों में देशभक्ति की भावना जगाएगी। 
स्वदेशी मिल गणेशोत्सव समिति के अध्यक्ष कन्हैया लाल मरमट ने बताया कि समिति 93 साल से झांकियां निकाल रही हैं। इस बार की दोनों झांकियां धार्मिक विषयों पर केन्द्रित है। एक में भगवान गणेश भोलेनाथ का अभिषेक करते हुए दिखाई देंगे वहीं दूसरी झांकी में ब्रज की लट्‍ठमार होली के रंग दिखेंगे। 
 
शहर में मिलों के अलावा अन्य संस्थाओं ने भी झांकियां बनाई हैं। इनमें प्रमुख रूप से खजराना गणेश मंदिर, आईडीए और नगर निगम की झांकियां भी लोगों को देखने को मिलेंगी।

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