नित्य वंदनीय हैं महाविद्याएं : पंडित शर्मा के अनुसार श्रीकुल की 9 और काली कुल की 9 महाविद्याएं यहां अनादिकाल से विराजित हैं। यह मंदिर कितना प्राचीन है, इसका कोई लिखित प्रमाण तो नहीं है, लेकिन 400-500 साल पहले यहां जटावाले महात्मा माताजी की सेवा-पूजा करते थे। तब यह मंदिर वर्तमान स्वरूप से अलग था। बाबा का कहना था कि आने वाले समय में इस स्थान पर मेला लगेगा। शर्मा कहते हैं कि महाविद्याओं की साधना प्रत्येक गृहस्थ कर सकता है। इन देवियों की पूजा के लिए तिथि, वार, नक्षत्र आदि देखने की आवश्यकता नहीं होती। महाविद्याएं नित्य वंदनीय हैं, इनकी आराधना से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्त होती है।