याचिकाकर्ता के वकील धर्मेन्द्र चेलावत ने बताया कि उनकी मुवक्किल लिपाक्षी ने 17 जुलाई को आयोजित नीट परीक्षा में 200 में से 161 वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के जवाब दिए थे और उसे अपने चयन का भरोसा था, लेकिन 7 सितंबर को परिणाम आया तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई क्योंकि उसे इसमें शून्य अंक दिया गया था।