लॉकडाउन के बीच शनिवार सुबह मिसरोद रेलवे स्टेशन पर नसिक से करीब चार सौ मजूदरों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची। जहां पर सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग करने के बाद उनको बसों से उनके गृह शहर रवाना कर दिया। स्टेशन पहुंचे मजदूरों ने कहा कि उनसे इस यात्रा के लिए जो टिकट दिया गया उसके पैसे भी लिए गए, जबकि पहले से ही रोजगार छीनने के चलते वह तंगी हालात में जी रहे थे।
भोपाल पहुंचे मजदूरों ने कहा कि लॉकडाउन में रोजगार छीनने के बाद से वह अपने घर वापस लौटना चाह रहे थे, इस बीच कुछ मजदूर जब पैदल ही अपने घर लौटने लगे तो नसिक में स्थानीय प्रशासन ने उनको क्वारेंटाइन सेंटर में रख दिया था।
कोरोना संकट और उसके बाद हुए लॉकडाउन ने पहले से ही मजूदरों को दाने - दाने के लिए मोहताज कर दिया है ऐसे में उनसे घर वापसी के लिए टिकट के पैसा वसूलना कई सवाल खड़े कर रहा है। सवाल यह भी है कि जब मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार खुद आगे बढ़कर दूसरे राज्य में फंसे मजदूरों को लाने की पहल कर रही है तब उनसे इस यात्रा का पैसा वसूलना कितना उचित है।
मजूदरों से टिकट के पैसा वसूलना सरकार के उन नियमों को धज्जियां उड़ता है जिसमें उसने मजूदरों से पैसा नहीं वसूलने की बात की थी। लॉकडाउन के बीच राज्यों के अनुरोध पर चलाई गए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने पर रेलवे ने साफ किया था कि यात्रियों को रेलवे से कुछ भी खरीदने की जरूरत नहीं है राज्य सरकार उनकी ओर से समन्वय स्थपाति करेगी। यह राज्य सरकारों पर निर्भर होगा कि वह श्रमिकों से किराया लेती है या नहीं।