'नगेट' से मिलिए, जो कि देखने में बहुत ही विश्वसनीय, गोल और लाल दिखने वाला एन्ड्रॉयड बेस्ड विशिष्ट मोबाइल गेम है। जो कि किशोरों की मदद करता है ये किशोरों के दुख का साथी है, ये उनकी उस वक्त मदद करता है जबकि उन्हें उनके पड़ोसियों, चाचा, चाची और दोस्तों से ताने मिलते हैं।
'नगेट' बीबीसी मीडिया एक्शन द्वारा विकसित किया गया है, जिसके लिए फंड यूनिसेफ की ओर से मिला है। ये एक एंड्रॉयड बेस्ड मोबाइल गेम है। ये भारत में किशोरों के बीच लैंगिक समानता की दिशा में एक बहुउद्देशीय संचार की पहल है।
यह बहुउदेशीय संचार पहल किशोरों और उनके माता-पिता तक पहुंचने के लिए बहुत सारे माध्यमों का प्रयोग करता है, विशेषकर बड़े शहरों से सटे हुए भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वालों के बीच पहुंचने के लिए कई तरह की पद्धतियों का प्रयोग करती है, जिसमें से 78 एपिसोड का एक टीवी सीरियल, रेडियो, IVR कंटेट, ग्राफिक नॉवेल, एक्टीविटी बुक्स और अब मोबाइल फोन गेम्स शामिल हैं।
मौजूदा समय में भारत में 24 करोड़ 50 लाख किशोर रह रहे हैं, जो कि एक विशाल जनसंख्या विभाजन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनकी राष्ट्र निर्माण में महती भूमिका है। हालांकि उस लक्ष्य को तब तक हासिल नहीं किया जा सकता है जब तक कि किशोरों के आत्मविश्वास और उनकी क्षमता को सही तरीके इस्तेमाल न किया जाए।
आज ज्यादातर किशोर जिंदगी से जूझते हुए दिखाई देते हैं। इसका मुख्य कारण उनकी उम्र में हो रहे जैविक, भावनात्मक और मानसिक परिवर्तन हैं। आज किशोरों ने समाज द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखा में फंसकर अपनी विकास की गति को मद्धम कर लिया है।
प्रत्येक नायक को एक प्रतिपक्षी की जरूरत होती है। 'नगेट' का विचार भी इसी सोच के साथ विकसित हुआ है। गेम के मामले में, नायक, 'नगेट' के पास 6 प्रतिपक्षी हैं जो किशोरों के जीवन को सीमित करने वाली लक्ष्मण रेखा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
'नगेट' को मानव केंद्रित डिज़ाइन प्रक्रिया का उपयोग करके विकसित किया गया है। कलाकारों के पात्र, गेमप्ले, कंटेंट इत्यादि को उपयोगकर्ताओं के इनपुट के आधार पर डिज़ाइन किया गया है और इसकी सफलता के प्रति आश्वस्त होने के लिए कई परीक्षण किए गए हैं।
'नगेट' पर टिप्पणी करती हुए बीबीसी मीडिया एक्शन की ग्लोबल क्रिएटिव एडवाइजर राधारानी मित्रा कहती हैं कि अपने तरह के अनूठे इस मोबाइल गेम को विकसित करना हमारे लिए रोमांचक था, हमारे लिए चुनौती थी कि हम इस लक्ष्मण रेखा को कैसे गेम में ढालें। हमने इसके लिए एक मॉक टेस्ट भी किया।
उन्होंने कहा कि इस गेम को खेलते समय किशोर अपनी सीमा को पहचानते हैं, और वो अगले लेवल तक जाते हैं। इस टेस्ट से ये भी पता चला कि किशोरों को हथियारों को चकमा देने का विचार पसंद आता है साथ ही उनमें आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
राधारानी मित्रा ने कहा कि इस गेम से दर्शकों के भीतर डिजिटल जागरूकता भी बढ़ी है, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 'नगेट' के जरिए किशोरों के भीतर लैंगिक भेदभाव के प्रति पहचान बढ़ेगी। इसमें कोई दो राय नहीं है। 'नगेट' के परीक्षण के समय ये भी पाया गया है कि जब किशोर 'नगेट' के संपर्क में आते हैं तो वो इस उद्देश्य से भी को रिलेट करते हैं, 'झेल मत, खेल', क्योंकि 'नगेट' को खेलना लैंगिक जड़ता के प्रति पहचान बढ़ाना भी है। वास्तव में इस गेम को खेलते समय किशोर ये भी जान पाते हैं कि वो कौनसी चीज है जो उनकी शक्ति को कम करती है, इसीलिए वो ज्यादा से ज्यादा स्कोर करना चाहते हैं।
यह सत्य है कि मानव केंद्रित डिजाइंड 'नगेट' को खेलते समय किशोर इसे पहचानने लगे हैं और 'नगेट' की इस कहानी को पसंद करने लगे हैं, जिसमें दबाव और मर्यादा की लक्ष्मण रेखा की वास्तविकता को दर्शाया गया है। यह एक आसान और परिचित गेम है जो कि हर किसी के जीवन में किसी न किसी स्तर पर जरूर घटित हुआ होगा।
'नगेट', एक उभयलिंगी गेम है, यह नायक को पहचान सकता है। इसका कंटेंट टेक्सट और ऑडियो दोनों में उपलब्ध है। यह हिंग्लिश (हिंदी+इंग्लिश) है, जो कि शहरी और गैर शहरी सभी के लिए आसान है। प्रियंका चोपड़ा यूनिसेफ की ब्रांड एंबेसेडर हैं, जो कि 'नगेट' के सपोर्ट के लिए आगे बढ़कर पहल कर रही हैं। 'नगेट' को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।