Pithampur Protest : मुख्‍यमंत्री मोहन यादव ने कहा, अभी नहीं जलाया जाएगा यूनियन कार्बाइड का कचरा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 4 जनवरी 2025 (00:12 IST)
Union Carbide Factory Waste Case : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस कांड के 40 साल यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का जहरीला कचरा धार जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में नष्ट करने की तैयारी को लेकर जमकर विरोध हो रहा है। विरोध प्रदर्शन के बीच भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज कर दिया। जिसके बाद रोड पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे लोग वहां से भागे। विरोध प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यूनियन कार्बाइड फैक्‍टरी का कचरा अभी नहीं जलाया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद ही अगला निर्णय लिया जाए‍गा। 
 
खबरों के अनुसार, भोपाल में गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्‍टरी का जहरीला कचरा धार जिले औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में नष्ट करने की तैयारी को लेकर जमकर विरोध हो रहा है। शुक्रवार सुबह से हो रहा प्रदर्शन शाम को और तेज हो गया। पावर हाउस चौराहे पर भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा।

विरोध प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यूनियन कार्बाइड फैक्‍टरी का कचरा अभी नहीं जलाया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद ही अगला निर्णय लिया जाए‍गा।  पथराव की घटना के बाद एसपी मनोज कुमार सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने हालात का जायजा लिया। लोगों से कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। इसी बीच धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था को बाधित करने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी।
 
कलेक्टर मिश्रा ने कहा है कि हम सभी से संवाद करेंगे और सभी समस्याओं का समाधान करेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देशानुसार संविधान के दायरे में रहकर ही सभी मुद्दों का समाधान किया जाएगा। उन्होंने अपील की है कि सड़कों पर प्रदर्शन न करें। 
यूनियन कार्बाइड से 337 टन खतरनाक अपशिष्ट के नियोजित निपटान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रहने के बीच शुक्रवार को मध्यप्रदेश के पीथमपुर में 2 लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया, जिससे कस्बे में तनाव बढ़ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, 'पीथमपुर बचाओ समिति' द्वारा आयोजित एक प्रदर्शन का हिस्सा रहे दो लोगों ने आत्मदाह के लिए अपने ऊपर ज्वलनशील तरल पदार्थ डाला लेकिन साथी प्रदर्शनकारियों ने आग बुझाने के लिए हस्तक्षेप करके उनके प्रयास को तुरंत विफल कर दिया।
 
लोगों की त्वरित प्रतिक्रिया ने संभवतः एक त्रासदी को टाल दिया। बाद में घटनास्थल पर मौजूद लोगों और पुलिस अधिकारियों द्वारा पीड़ितों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। यह विरोध प्रदर्शन इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित औद्योगिक कस्बे में खतरनाक सामग्रियों को स्थानांतरित करने के सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में लोगों की चिंताओं से उपजा है।
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धार के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मनोज सिंह ने पीथमपुर बस स्टैंड के पास एक विरोध स्थल से फोन पर बताया कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन तनावपूर्ण है। एसपी ने कहा कि आत्मदाह का प्रयास करने वाले दो लोगों को स्थानीय अस्पताल से इंदौर के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने पुष्टि की कि वे खतरे से बाहर हैं।
 
पीथमपुर बचाओ समिति के बंद के आह्वान के बीच शहर के कई हिस्सों में दिनभर विरोध प्रदर्शन जारी रहा। भीड़ ने उस औद्योगिक इकाई की ओर मार्च किया, जिसमें कचरे को जलाया जाना है। एक अन्य आंदोलन में बच्चों ने भी भाग लिया। धार जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर पीथमपुर की आबादी लगभग 1.75 लाख है और इसके औद्योगिक क्षेत्र में तीन सेक्टरों में लगभग 700 कारखाने हैं।
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शहर में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए, जिलाधिकारी प्रियंक मिश्रा और एसपी सिंह ने दो अलग-अलग वीडियो जारी किए तथा लोगों से शांति बनाए रखने और कानून को अपने हाथ में न लेने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन उनकी मांगों को सुनने के लिए तैयार है।
 
दोनों शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार के लिए लोगों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है, लेकिन उन्होंने कहा कि शांति भंग करने की कोशिश करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। पीथमपुर बचाओ समिति द्वारा आहूत बंद के तहत दुकानें और बाजार बंद रहे। दावा किया जा रहा है कि भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े कचरे को जलाने की योजना से स्थानीय निवासियों और क्षेत्र के पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। धार के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत सिंह बकरवाल ने विरोध प्रदर्शन में बच्चों की मौजूदगी की पुष्टि की।
 
दो और तीन दिसंबर, 1984 की मध्य रात्रि को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस लीक हुई थी, जिससे कम से कम 5,479 लोगों की मौत हो गई थी तथा हजारों लोग गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे है।
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अधिकारियों ने वैज्ञानिक निपटान के लिए कार्बाइड कारखाने से 337 टन कचरे को पीथमपुर स्थानांतरित कर दिया है, हालांकि इस कदम से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। भोपाल से सामग्री बृहस्पतिवार को पीथमपुर में एक भस्मीकरण इकाई में पहुंच गई।
 
विरोध प्रदर्शन के दौरान एक समूह ने आयशर मोटर्स के पास सड़क जाम कर दी, लेकिन पुलिस ने उन पर काबू पा लिया और हल्का लाठीचार्ज करके सामान्य स्थिति बहाल कर दी। 500-600 लोगों की भीड़ रामकी ग्रुप के औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन प्राइवेट लिमिटेड परिसर में पहुंची, जहां कचरे को जलाया जाना था, लेकिन पुलिस ने समय रहते उन्हें तितर-बितर कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को कुछ स्थानों पर हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा।
 
बृहस्पतिवार से बस स्टैंड पर भूख हड़ताल पर बैठे संदीप रघुवंशी ने कहा कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान के खिलाफ उनके विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोगों ने उनके साथ एकजुटता व्यक्त की है। इस बीच, कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पीथमपुर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
 
शहर में कई सड़कों पर ‘बैरिकेड्स’ लगा दिए गए, जबकि पुलिस की टीम सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश कर रही हैं। कई स्थानों पर एसपी सिंह ने प्रदर्शनकारियों से बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि नागरिकों को विश्वास में लेने के बाद ही कचरे का निपटान किया जाएगा।
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मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने तीन दिसंबर को उच्चतम न्यायालय सहित न्यायालयों के निर्देशों के बावजूद भोपाल में यूनियन कार्बाइड स्थल को खाली न करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई थी। इसने यह देखते हुए कचरे को हटाने के लिए चार सप्ताह की समय-सीमा तय की थी, कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अधिकारी निष्क्रियता की स्थिति में हैं।
 
उच्च न्यायालय ने सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया तो उसके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी और 40 प्रतिशत नेफ्थॉल शामिल है जिसका उपयोग कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) बनाने के लिए किया जाता है और यह बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है।
Edited By : Chetan Gour

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