उपचुनाव में उम्मीदवारी के लिए प्रशांत किशोर के नाम से मांगे 11 लाख!

बागली। देश के जाने-माने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कभी अपने बयानों के लिए तो कभी अपने सफल चुनावी  कैम्पेन और अंत में अपने राजनीतिक स्टैंड को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। लेकिन, इस बार वे एक नए कारण से   चर्चा में है और कारण भी पैसों की मांग से जुड़ा हुआ है, जिसका आधार टिकट देने के लिए रुपयों की मांग है।
 
दरअसल, मध्यप्रदेश के प्रस्तावित उपचुनावों में देवास जिले की हाटपिपल्या सीट के लिए प्रशांत किशोर नाम लेकर एक कांग्रेसी दावेदार राजवीरसिंह बघेल से फ़ोन कर 11 लाख रुपए की मांग का सनसनीखेज मामला सामने आया। इसके लिए बघेल और उनके पिता पूर्व कांग्रेस विधायक राजेन्द्रसिंह बघेल के मोबाइल पर 8 से 10 बार फ़ोन किया गया। मामला जूनियर बघेल ने सोनकच्छ पुलिस को लिखित शिकायत दर्ज कर उजागर किया।
 
बघेल ने बताया कि उनके और उनके पिता के मोबाइल पर फ़ोन करके एक व्यक्ति ने स्वयं को प्रशांत किशोर बताते हुए कहा कि मुझे कांग्रेस ने हाटपिपल्या सीट से प्रत्याशी चयन की जिम्मेदारी दी है और मेरे सर्वे में आपका नाम पहले क्रम पर है। कांग्रेस कमेटी भी एक सर्वे करवा रही है। सर्वे करने वाले राजस्थान के विधायक हैं जिसमें आपका नाम कहीं भी नहीं है। मैंने उस विधायक को आपका नाम पहले नंबर पर जोड़ने के लिए कहा है। जिसके बदले में आपको उस विधायक को 11 लाख रुपए तुरंत पहुंचाने हैं। अभी वे विधायक ग्वालियर में ठहरे हैं।
 
बघेल ने यह भी बताया कि मुझे लगा कि कोई व्यक्ति प्रशांत किशोर का नाम लेकर ब्लैकमेल कर रहा है और 11  लाख रुपए ऐंठना चाहता है। बघेल ने पुलिस में दर्ज शिकायत में बताया कि उनके पास उस अज्ञात व्यक्ति से की गई  बातचीत की रिकॉर्डिंग भी है। शिकायत में उचित कार्यवाही करने की मांग की गई।
 
तीसरी बार नपं अध्यक्ष हैं जूनियर बघेल : राजवीरसिंह बघेल सोनकच्छ में रहते हैं और क्षेत्र के राजनीति का  जाना-पहचाना चेहरा हैं। पिछले निकाय चुनावों में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के अधिकृत  उम्मीदवार को पराजित किया था। वे सोनकच्छ नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर तीन बार निर्वाचित हो चुके हैं।  
 
3 बार विधायक रहे हैं बघेल के पिता : गौरतलब है कि बघेल के पिता राजेन्द्रसिंह बघेल हाटपिपल्या विधानसभा के लिए कांग्रेस के दिग्गज नाम रहे हैं। उन्होंने यहां से 7 बार विधानसभा चुनाव लड़ा और 3 बार विजय रहे। जबकि 4 बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस में वे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। 
 
उन्होंने वर्ष 1985 में हाटपिपल्या सीट से पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर दो से लगातार चुनाव जीत रहे भाजपा के तेजसिंह सैंधव को हराया था। इसके बाद 1990 में अगला चुनाव वे सैंधव से ही हार गए थे, लेकिन 1993 में उन्होंने फिर से सैंधव को पराजित कर दिया। 1998 के चुनाव में फिर से सैंधव जीत गए लेकिन 2003 में भाजपा ने संघ से आए नए चेहरे रायसिंह सैंधव को उतारा, जिसमें बघेल ने चुनाव जीता और फिर विधानसभा पहुंचे। लेकिन इसके बाद हालात बदल गए बागली विधानसभा आरक्षित (एसटी) हो गई और बागली विधायक दीपक जोशी ने सीट बदली और अगले दोनों चुनावों 2008 व 2013 में बघेल को पराजित किया।
 
इसके बाद वर्ष 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने सिंधिया के समर्थक चौधरी को टिकट दिया था, जिन्होंने जोशी को  पराजित कर दिया था। लेकिन बाद में सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। 3 बार ज़िले की बड़ी नगर परिषद अध्यक्ष पद पर रहने का अनुभव और उनके पिता का स्थायी वोट बैंक होने के कारण राजवीर  हाटपिपल्या सीट के स्वाभाविक दावेदार माने जा रहे हैं। 
 
अब कोई कार्यवाही नहीं चाहते हैं बघेल : हालांकि बघेल अब उस शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं चाहते हैं। उन्होंने बताया कि मैंने पुलिस को भी लिख कर दिया है कि मैं कोई कार्यवाही नहीं चाहता। बघेल ने बताया कि वो नम्बर था पंजाब का और वो नम्बर पंजाब में भी अज्ञात था। उसमें आधार कार्ड भी नहीं लगा था। उपचुनाव का दौर है इसलिए व्यस्तता भी अधिक है। शीर्ष नेतृत्व से चर्चा भी हुई थी उन्होंने भी उसे छोड़ देने के लिए ही कहा।
 
दूसरी ओर, सोनकच्छ थाना प्रभारी उपेंद्र छारी ने बताया कि उन्होंने (राजवीरसिंह ने) शिकायत की थी, जिसे कार्रवाई के लिए सायबर सेल भेजा गया था। अब उन्होंने कहा है कि वे कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं तो जैसी स्थिति बनती है, वैसी कार्रवाई होगी। 

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