भोपाल। उज्जैन के महाकाल मंदिर में प्रशासक को अचानक हटाए जाने का मामला अब मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच गया है। पिछले दिनों महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंचे सरकार के एक मंत्री के जूते निकलवाने मामले के बाद मंदिर के प्रशासक बदलने को लेकर उज्जैन में पहले से ही साधु संतों में नाराजगी थी। वहीं अब एक बार फिर महाकाल मंदिर में स्थाई प्रशासक नियुक्त करने का मुद्दा जोर पकड़ लिया है।
अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा है कि जब किसी कलेक्टर को महाकाल प्रबंध समिति अध्यक्ष के रूप में पदस्थ कर दिया जाता है तो उसका पूरा ध्यान व समय महाकाल मंदिर की व्यवस्थाओं में ही लग जाता है। इससे शहर का विकास तथा अन्य जनहितैषी योजनाओं के संचालन प्रभावित होता है। वहीं दोहरी जिम्मेदारी के चलते मंदिर की व्यवस्थाएं प्रभावित हो जाती है।
इसके साथ ही महाकाल मंदिर की व्यवस्था के साथ ही अनेक प्रकल्पों का संचालन भी होता है जैसे महाकाल वैदिक शोध संस्थान, निःशुल्क अन्न क्षेत्र, चांदी के सिक्कों का वितरण, लड्डू निर्माण की इकाई, आरो प्लांट, खाद बनाने की इकाई, सिक्योरिटी आदि प्रकल्पों का सफल संचालन अतिरिक्त प्रभार वाले अधिकारी द्वारा संभव नहीं हो पाता। इसके चलते अधिकारी प्रशासक जैसे पद को छोड़ देते हैं।
हाल में एक बार फिर इसकी बानगी प्रशासक अभिषेक दुबे के अपना पद छोड़ देने से सबके सामने आई। वहीं उनकी जगह बनाए गए प्रशासक अवधेश शर्मा के पास पहले से ही स्मार्ट सिटी जैसा अति महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है और वो पहले भी प्रशासक के पद को छोड़कर गए थे। अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर मांग की महाकाल मंदिर के लिए पूर्णकालिक प्रशासक की स्थाई नियुक्ति हो।