सोमवार को निकलेगी महाकालेश्वर की शाही सवारी

रविवार, 28 अगस्त 2016 (19:33 IST)
उज्जैन। मध्यप्रदेश की प्राचीन नगरी उज्जैन में स्थित विश्वप्रसिद्ध और ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख भगवान महाकालेश्वर की श्रावण और भादव महीने की अंतिम एवं शाही सवारी में दूरदराज से लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे। उज्जैन नगरी को नई दुल्हन की तरह सजाया जा चुका है। 
भगवान महाकालेश्वर की शाही सवारी सोमवार को निकाली जाएगी। इस आयोजन में भारी संख्या में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के मद्देनजर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के नजरिए से व्यापक रूप से इंतजाम कर लिया है। 
 
भगवान महाकालेश्वर के पवित्र मुघौटे को परंपरागत रूप से हर वर्ष बड़ी श्रद्धाभाव के साथ श्रृंगारित कर पालकी में रखकर श्रावण-भादव के प्रत्येक सोमवार के अलावा दशहरा और कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर सवारी निकालने की प्राचीन परंपरा है। 
 
पुरानी परंपरानुसार मराठा शासन से निकलने वाले पंचांग के अनुसार डेढ़ माह श्रावण महोत्सव बनाया जाता है। इसी कारण श्रावण के साथ भादव महीने के पहले पखवाड़े तक सवारी निकलने का क्रम जारी रहता है। 
 
इस आयोजन का महत्व इतना है कि इसके उज्जैन के अलावा मालवांचल सहित आसपास के क्षेत्र के लोग शामिल होते हैं। इस दौरान धार्मिक नगरी 'हर हर महादेव', 'जय-जय महाकाल' एवं 'ॐ नम: शिवाय' के गगनभेदी नारों से गुंजायमान होती है।
 
भगवान महाकालेश्वर जैसे ही मंदिर से बाहर आते हैं उसी दौरान सशस्त्र पुलिस बल की टुकड़ी सलामी देती है। आज भी चौबदार (अंगरक्षक) मंदिर से सवारी निकलने पर और सवारी मंदिर में प्रवेश करने पर अपने दायित्व का निर्वाह करता है।
 
सवारी में श्रद्धालुओं के साथ ही पुलिस बैंड, पुलिस बल की टुकड़ियां, घुड़सवार पुलिस, भजन मंडलियों के अलावा मंत्री, नेता, प्रशासन का अमला पैदल चलते हैं। यह सवारी गोपाल मंदिर पर पहुंचने पर ग्वालियर स्टेट के समय से उनकी ओर से विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और आज भी ग्वालियर स्टेट के परिवार के सदस्य इस सवारी में शामिल होते हैं।
 
एक पुरानी परंपरा के तहत राजा महाकाल अपनी प्रजा को देखने के लिए शहर की परिक्रमा करते हैं और उनका जायजा लेते हैं। यह कि मेरी प्रजा सुखी है या नहीं? नगर भ्रमण के दौरान पालकी में भगवान महाकालेश्वर चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरूड़ पर शिव तांडव, नंदी पर उमा-महेश, रथ में होलकर और सप्तधान रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।
 
नगर भ्रमण पर निकलने से पहले मंदिर के पंडितों द्वारा महाकाल की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मंदिर से सोमवार को भगवान महाकालेश्वर अपने निर्धारित समय अपरान्ह 4 बजे नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे। नगर भ्रमण करते हुए वे पवित्र शिप्रा नदी के रामघाट पहुंचेंगे, जहां जलाभिषेक और पूजा-अर्चना के बाद रात्रि 11 बजे शयन आरती के पूर्व मंदिर पहुंचेंगे। 
 
जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने शाही सवारी में भारी भीड़ के मद्देनजर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए हैं।
 
इस भव्य आयोजन के दौरान भगवान महाकाल की सवारी के स्वागत के लिए जगह-जगह मंच बनाए गए। जिला प्रशासन ने स्वागत द्वारों पर डीजे पर प्रतिबंध लगाया है। यातायात की सुगमता के लिए गाड़ियों को शाही मार्ग से दूर रखा गया है। (वार्ता) 

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