मैं दलितों के घर भोजन नहीं करती, लेकिन...

केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने मंगलवार को कहा कि मैं दलितों के घर भोजन नहीं करती, न ही समरसता भोज में भोजन करती हूं।
 
 
छतरपुर में नौगांव के ददरी गांव में आयोजित समरसता भोज के कार्यक्रम में उमा ने कहा कि वे इस समरसता भोज में भोजन नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि दलितों के घर खाना खाने की जगह वे दलितों को अपने घर बुलाकर भोजन कराएंगी और उनके परिजन दलितों के जूठे बर्तन उठाएंगे। 
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वे राम नहीं हैं जो दलित शबरी के यहां जाकर भोजन कर उन्हें पवित्र करें, बल्कि दलित उनके घर भोजन करेंगे तो उनका घर पवित्र हो जाएगा। हालांकि भाजपा की ओर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि उमा जी को समरसता भोज की जानकारी नहीं थी। इसमें कहा गया कि चूंकि उमा भारती को यहां 150 किलोमीटर दूर टीकमगढ़ के पापोड़ा गांव पहुंचना और वहां विद्यासागर महाराज के दर्शन करना था। इसलिए देरी की वजह से वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाईं। 
 
दलितों में नाराजी : एक ओर जहां भाजपा आलाकमान के निर्देश पर पार्टी के छोटे-बड़े नेता दलितों के घर भोजन कर दलित प्रेम दिखा रहे हैं, वहीं उमा भारती ने समरसता भोज से किनारा कर लिया। आयोजक जहां कार्यक्रम से पहले दुहाई देते फिर रहे थे कि उमा भारती सबके साथ बैठकर समरसता भोज करेंगी, लेकिन वहीं उमा द्वारा दलितों के साथ भोजन न करने से उनमें नाराजी है। कुछ लोगों का कहना था कि वह तो उमा भारती के साथ भोजन करने आए, लेकिन उमा भारती भोजन करने की जगह पर बहाना बनाकर निकल गईं।

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