व्यापम घोटाला : आधी रात तक चली सीबीआई अदालत, 30 की याचिका खारिज

शुक्रवार, 24 नवंबर 2017 (10:21 IST)
भोपाल। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की विशेष अदालत में गुरुवार को यहां प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी 2012) में अनियमितताओं के सिलसिले में 592 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। यह कार्यवाही देर रात ढाई बजे तक चली। इस दौरान निजी मेडिकल कालेज के संचालकों समेत 30 आरोपियों की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी गई।
 
विशेष न्यायाधीश डी पी मिश्रा की अदालत में जिन आरोपियों की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज की गई है, अब उनके समक्ष उच्च न्यायालय जाने का विकल्प खुला है। इन आरोपियों में निजी मेडिकल कालेज संचालक डॉ अजय गोयनका, सुरेश एन विजयवर्गीय, कैप्टन अंबरीश शर्मा, डॉ. डी के सत्पथी, डॉ विजय कुमार पांडे और अन्य लोग शामिल हैं। हालांकि अदालत ने उसके समक्ष पेश हुए पंद्रह आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
 
यह आरोपपत्र पीएमटी 2012 से जुडीं सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की तीन सौ से अधिक सीटों के विरूद्ध प्रवेश में गड़बड़ी से संबंधित हैं। अदालत ने गुरूवार को अदालत के समक्ष पेश नहीं होने वाले आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किए हैं। इस तरह अदालत में कामकाज चौदह घंटों से अधिक समय तक चला।
 
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर व्यापमं घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने राज्य सरकार के तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा संचालक एस सी तिवारी, व्यापमं के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी पंकज त्रिवेदी, तत्कालीन सीनियर सिस्टम एनालिस्ट नितिन मोहिन्द्र, तत्कालीन डिप्टी सिस्टम एनालिस्ट अजय कुमार सेन तथा तत्कालीन प्रोग्रामर सी के मिश्रा के खिलाफ भी आरोपपत्र पेश किया है। इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष सुरेश सिंह भदौरिया और एल एन मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष जे एन चौकसे के नाम भी आरोपपत्र में शामिल हैं।
 
इन निजी मेडिकल कॉलेजों पर आरोप है कि इन्होंने व्यापम अधिकारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से राज्य सरकार के कोटे की सीटों की भी सेंधमारी की और कुल 292 ऐसे व्यक्तियों को प्रवेश दिया, जो पीएमटी परीक्षा में शामिल भी नहीं हुए थे। ये सीटें  50 लाख से एक करोड़ रुपये में बेची गईं। जांच एजेंसी ने ऐसे 292 व्यक्तियों के नामांकन में हेराफेरी का मामला राज्य सरकार को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजने का फैसला किया है।
 
सीबीआई ने जांच में पाया कि इन मेडिकल कॉलेजों ने प्रिया गुप्ता बनाम छत्तीसगढ़ एवं अन्य के मामले में उच्चतम न्यायालय के आठ मई 2012 के दिशानिर्देशों का न केवल उल्लंघन किया, बल्कि आरक्षण नियमों की भी अनदेखी की।
 
आरोपपत्र में 245 आरोपियों के नाम पहली बार शामिल किए गए हैं। पीएमटी 2012 घोटाला मामले में अब तक कुल मिलाकर 22 बिचौलियों, 46 परीक्षा निरीक्षकों, चिकित्सा शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों और चार निजी मेडिकल कॉलेजों के 26 पदाधिकारियों के नाम सीबीआई के आरोपपत्र में शामिल किए जा चुके हैं। (वार्ता) 

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