शिवराज के इमोशनल कार्ड की प्रेशर पॉलिटिक्स से दबाव में आएंगे मोदी-शाह?

विकास सिंह

शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023 (12:30 IST)
भोपाल। 18 साल तक मध्यप्रदेश की बागडोर संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान को भले ही पार्टी आलाकमान ने पांचवीं बार मौका नहीं दिया हो लेकिन शिवराज सिंह लगातर चर्चा के केंद्र में बने हुए है। पार्टी हाईकमान के फैसले का सम्मान करते हुए एक अनुशासित कार्यकर्ता की तरह शिवराज सिंह चौहान ने भले ही मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया हो लेकिन वह लगातार जनता के बीच जा रहे है और अपनी लोकप्रियता साबित कर रहे है।

मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद शिवराज सिंह चौहान गुरुवार विदिशा पहुंचे जहां पर महिलाएं शिवराज से लिपट कर रोने लगी तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अपने आंसू नहीं रोक पाएं और वह बेहद भावुक नजर आए। इस दौरान शिवराज महिलाओं को ढांढस बांधते हुए नजर आए वहीं महिलाओं ने कहा कि “भैय्या आप क्यों चले गए, मामा जी वापस आना, अपनी बहनों के लिए वापस आनाठ। वहीं आज शिवराज सिंह चौहान ने विदिशा की फोटो को अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा “मेरा परिवार”।  

दरअसल मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है. वे 18 साल तक राज्य के सीएम रहे। राज्यभर में युवा उन्हें 'मामा' तो महिलाएं 'भाई' कहती है। यहीं कारण है कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी पहचान पूर्व मुख्यमंत्री से पहले “भाई और मामा” लिखा है। सोशल मीडिया हैंडल पर अपना बायो बदलकर पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश लिखने वाले शिवराज सिंह चौहान ने आज फिर अपने बायो बदलते हुए ‘भाई और मामा’  शब्द को जोड़ा। अब शिवराज सिंह चौहान के सोशल मीडिया हैंडल X  पर “भाई और मामा, फॉर्मर चीफ मिनिस्टर ऑफ मध्यप्रदेश” लिखा हुआ है। 

वहीं बुधवार को लाल परेड ग्राउंड में मुख्यमंत्री मोहन यादव के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लोगों ने उनको घेर लिया था और मामा-मामा के नारे लगाए थे। इस दौरान शिवराज सिंह चौहान अपनी गाड़ी से उतरकर लोगों से मिले, इस दौरान कई महिलाएं भावुक हो गई और उन्होंने शिवराज सिंह चौहान से कहा कि अब एक दिन प्रधानमंत्री बनें।

इससे पहले बुधवार को बतौर कार्यवाहक मुख्यमंत्री आखिरी पौधारोपण करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने भावुक संदेश देते हुए कहा कि “मित्रो अब विदा, जस की तस धर दीनी चदरिया”। वहीं कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी आखिरी प्रेस कॉफ्रेंस में शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर, मैं मरना समझूंगा।

इमोशनल कार्ड की प्रेशर पॉलिटिक्स?-शिवराज सिंह चौहान एक परिपक्व राजनेता है और राजनीति में उनका हर कदम बहुत सोचा समझा होता है। मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान का इतने साल मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश की जनता से जो कनेक्ट बना हुआ है, वह उसे बनाए रखना चाहते है। बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने जो योजनाएं बनाई है उसको वह जनता के बीच जीवित रखना चाहते है और अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते है ताकि पार्टी पर दबाव बना रहे और पार्टी उनको अनदेखा नहीं कर सके, इसी की कवायद वह करते हुए नजर आ रहे है।  

वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता आगे कहते हैं कि दरअसल शिवराज सिंह चौहान एक संदेश देना चाहते है कि वह आज भी कितने लोकप्रिय है। शिवराज सिंह चौहान का यह कहना है कि वह बहनों को लखपति बनाएं और सरकार पर दबाव बनाएंगे, ऐसा कर वह दबाव की रणनीति आगे बढ़ते नजर आ रहे है और मोहन यादव सरकार पर दबाव बनाकर रखना चाहते है।

क्या शिवराज का यह कदम उनको नुकसान पहुंचा सकता है इस पर वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता है कि 2018 में जब भाजपा सत्ता में नहीं आई तब शिवराज कुछ इस रणनीति पर आगे बढ़ रहे तो पार्टी ने उनको रोक दिया है। अभी तो वह अपने गृह क्षेत्र विदिशा गए थे और उनका व्यक्तिगत कार्यक्रम था। अगर शिवराज आगे चलकर पार्टी के बिना सहमति के कार्यक्रम करते है तो उनका निश्चित तौर पर पार्टी से आमना-सामना होगा।

वहीं आने वाले शिवराज कि क्या भूमिका होगी इस पर दिनेश गुप्ता कहते हैं कि फिलहाल शिवराज सिंह चौहान की कोई भूमिका नजर नहीं आती है और उनके सामने भी वैट एंव वॉच की स्थिति है, कि मोदी-शाह की भाजपा उनके बारे में क्या फैसला लेती है। अगर शिवराज येदियुरप्पा जैसा दबाव बना सकते है तो शायद उनको कुछ मिल जाए। 

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