एक्सप्लेनर: मध्यप्रदेश के उपचुनाव के नतीजों से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर फिलहाल विराम!

विकास सिंह

बुधवार, 3 नवंबर 2021 (12:23 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट समेत तीन विधानसभा  सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों से सूबे के सत्ता समीकरणों पर वैसे तो कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इन उपचुनाव के नतीजों का मध्यप्रदेश में भाजपा की अंदरखाने की‌ राजनीति पर खासा असर पड़ने की संभावना है। उपचुनाव में भाजपा ने अपनी पारंपरिक सीट खंडवा लोकसभा सीट जीतने के साथ-साथ जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर भी अपना कब्जा जमाया। इन दोनों सीटों पर भाजपा ने कमल खिलाकर कांग्रेस अभेद दुर्ग पर कब्जा करने के साथ कांग्रेस के पारंपरिक आदिवासी वोट बैंक में भी सेंध लगा दी है। 
 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे और नेतृत्व लड़े गए उपचुनाव में पृथ्वीपुर और जोबट में भाजपा की जीत कई मायनों प्रदेश भाजपा की राजनीति पर लंबे समय तक असर डालेगी। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा झाबुआ,धार और अलीराजपुर में मात्र एक विधानसभा सीट जीत सकी थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक एक मुश्त कांग्रेस के खाते में गया था। ऐसे में  उपचुनाव में भाजपा ने आदिवासी बाहुल्य वाली विधानसभा सीट जोबट और साढ़े 6 लाख वोटरों वाली खंडवा सीट जीतकर कांग्रेस को तगड़ी पटखनी दी‌ है।
 
ऐसे में जब हिमाचल जैसे भाजपा शासित राज्य में उपचुनाव में भाजपा का सूपड़ा‌ साफ हो गया है तब मध्यप्रदेश के उपचुनाव ‌के‌ नतीजे भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को कुछ सुकून देने वाले है।   
 
वहीं उपचुनाव के नतीजों से प्रदेश की सियासत में पिछले कुछ दिनों से चल रही सियासी अटकलों पर भी फिलहाल विराम लगता हुआ दिखाई दे रहा है। सियासी जानकार कहते हैं कि उपचुनाव के नतीजों ने एक बार फिर प्रदेश की‌  सियासत ‌में  शिवराज को स्थापित करने का काम किया है।
शिवराज सरकार के कामकाज को आधार बनाकर लड़े गए उपचुनाव में भाजपा ने जिस तरह आदिवासी बाहुल्य सीट जोबट जो कि कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती थी और पृथ्वीपुर जहां आप तक भाजपा सिर्फ एक बार जीत पाई थी वहां पर अपनी विजय पताका फहराई है वह शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश की जनता के विश्वास ‌को और मजबूत बनाने के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर शिवराज सिंह चौहान के भविष्य को भी‌ मजबूत करते है।
 
मध्यप्रदेश उपचुनाव के नतीजों ने सत्ता और संगठन के बीच एक बेहतर तालमेल को भी स्थापित किया है। उपचुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को दिया है।
 
चौथी बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अच्छी तरह से इन उपचुनावों की अहमियत जानते है।राजनीतिक ‌विश्लेषक मानते है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अंदर  संकल्प,सेवा और समर्पण ‌की त्रिवेणी समाई हुई है। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने ऐसे अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं  जो उनको भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में अलग ही रखते है। करीब डेढ साल पहले कोरोना जैसी विषय परिस्थितियों में मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा अब तक रिकॉर्ड संख्या में उपचुनावों जीत हासिल कर चुकी है।
 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में फ्रंट फुट पर खेल रहे है। चौथी पारी में मुख्यमंत्री विपक्ष पर भी बेहद अक्रामक नजर आ रहे है। उपचुनाव के नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंद्रह नवंबर को भोपाल आ रहे जहां वह आदिवासी सम्मान कार्यक्रम में शिरकत करेंगे ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र ‌मोदी अपने भाषण में किस तर इन जीतों को रेखाकिंत करते है।
 

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