महाभारत युद्ध में द्रोण कौरवों की ओर से लड़े थे। द्रोणाचार्य और उनके पुत्र अश्वथामा जब पांडवों की सेना पर भारी पड़ने लगे, तब एक छल से धृष्टद्युम्न ने उनका सिर काट दिया। द्रोण एक महान गुरु थे। इतिहास में उनका नाम अजर-अमर रहेगा। इसके अलावा अगस्त्य, कश्यप, अष्टावक्र, याज्ञवल्क्य, कात्यायन और ऐतरेय के भी गुरुकुल थे।