Mahabharat 1 May Episode 69-70 : दुर्योधन का कपट और शिखंडी का रहस्य उजागर

अनिरुद्ध जोशी

शुक्रवार, 1 मई 2020 (20:00 IST)
बीआर चौपड़ा की महाभारत के 1 मई 2020 के सुबह और शाम के 69 और 70वें एपिसोड में दुर्योधन किस तरह पांडवों के मामा को अपनी ओर करता है और शिखंडी का रहस्य उजागर होता है।
 
 
दोपहर के एपिसोड की शुरुआत कुरुक्षेत्र में चारों दिशाओं से कौरव और पांडवों की सेनाओं के एकत्रित होने को बताया जाता है। दूसरी ओर दुर्योधन मद्र नरेश और उनकी सेना के कुरुक्षेत्र पहुंचने के मार्ग के हर पड़ाव पर स्वागत का प्रबंध करवा देता है। मद्रदेश के नरेश शल्य यह समझते हैं कि यह स्वागत मेरे भांजे पांडवों द्वारा किया जा रहा है। स्वागत पड़ाव में नृत्य-गान आदि सभी की व्यवस्था होती है। इस स्वागत से वे गदगद हो जाते हैं। 

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दूसरी ओर युधिष्ठिर को एक शिविर में मद्र नरेश शल्य की प्रतीक्षा करते हुए बताया जाता है। यहां श्रीकृष्ण पांडवों से कहते हैं कि शल्य की प्रतीक्षा तो करना ही चाहिए क्योंकि उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। श्री कृष्ण की यह रहस्यमयी बात कोई नहीं समझ पता है। 
 
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इधर, शल्य के अंतिम पड़ाव के दौरान दूत मद्र नरेश शल्य के पास खबर लाता है कि हस्तिनापुर नरेश दुर्योधन आपसे मिलना चाहते हैं। शल्य सोचते हैं कि दुर्योधन क्यों मिलना चाहता है? मैं तो उसीके विरुद्ध युद्ध करने के लिए मद्रदेश से निकला हूं। शल्य कहते हैं कि उन्हें अंदर ले आओ। 
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दुर्योधन, शकुनि, कर्ण और अश्वत्थामा शिविर में पहुंचकर मामाश्री शल्य को प्रणाम करते हैं। शल्य कहता है कि आओ वत्स आओ, धर्मराज युधिष्ठिर के इस शिविर में तुम्हारा स्वागत है। तब कर्ण बताता है कि सेवा का पेड़ तो लगाया दुर्योधन ने और उसका फल मिल रहा है युधिष्ठिर को।
 
यह सुनकर शल्य सन्न रह जाते हैं। शल्य कहते हैं कि किंतु मैं तो पांडवों के पक्ष में युद्ध करने निकला हूं। इस पर दुर्योधन कहता है कि मैं तो बस आपकी सेवा करके अपने कर्तव्य का पालन कर रहा हूं। शल्य कहते हैं कि इस अतिथ्य सत्कार के बदले कुछ मांग लो। दुर्योधन कहता है कि आप हस्तिनापुर के प्रधान सेनापति बन जाओ। शल्य कहते हैं कि मैं भीष्म के होते हुए यह पद स्वीकार नहीं कर सकता। तब कर्ण कहते हैं कि फिर आप मेरे सारथी बनकर मेरा सम्मान करें। शल्य कहते हैं कि ठीक है।
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इधर, श्रीकृष्ण और पांडव से शल्य को चर्चा करते हुए बताते हैं। शल्य कहते हैं कि मैं सोच भी नहीं सकता था कि वो कपटी दुर्योधन मेरे साथ ऐसा करेगा लेकिन मेरा आशीर्वाद पांडु पुत्रों के साथ है। नकुल और सहदेव को इससे आघात पहुंचता है, क्योंकि वे उन्हीं के सगे मामा थे। सहदेव अपने मामा शल्य को कठोर शब्द कहता है। युधिष्ठिर और अर्जुन सहदेव को समझाते हैं।...इधर कुं‍ती और गांधारी और फिर गांधारी और धृतराष्ट्र का संवाद होता है।
 
शाम के एपिसोड में शिखंडी के पूर्वजन्म की कथा बताते हैं। शिखंडी पहले अम्बा नाम की महिला थीं जो काशीराज की पुत्री थीं। भीष्म उसका हरण करके ले जाते हैं और उसका विवाह सत्यवती पुत्र विचित्रवीर्य से करने का कहते हैं लेकिन अम्बा कहती है कि मैं शाल्वराज को चाहती हूं। यह सुनकर भीष्म अम्बा को छोड़ देते हैं लेकिन बाद में शाल्वराज भी उसे छोड़ देते हैं। तब अम्बा भीष्म से कहती है कि फिर आप ही मुझे स्वीकारें लेकिन भीष्म कहते हैं कि मैंने तो आजीवन ब्रह्मचर्य करने का प्रण लिया है।
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तब अम्बा ऋषि परशुराम से न्याय करने का कहती है। परशुराम का भीष्म से युद्ध होता है लेकिन परशुराम परास्त हो जाते हैं। तब अम्बा महादेव की तपस्या करती है। फिर महादेव उसे वरदान देते हैं कि तू द्रुपद के घर शिखंडी के रूप में जन्म लेगी और भीष्म की मृत्यु का कारण बनेगी।
 
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