वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के 8वें अवतार हैं लेकिन देवी और कालिका पुराण अनुसार वे विष्णु के नहीं बल्कि कालिका माता के अवतार थे। देवी पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु के नहीं बल्कि मां काली के अवतार थे, वहीं उनकी प्रेमिका राधा, देवी लक्ष्मी का स्वरूप नहीं, अपितु महादेव का अवतार थीं। देवी पुराण के अनुसार भगवान महादेव वृषभानु पुत्री राधा के रूप में जन्मे।
साथ ही श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां रुक्मिणी, सत्यभामा आदि भी महादेव का ही अंश थीं। पार्वती की जया-विजया नामक सखियां श्रीदाम और वसुदाम नामक गोप के रूप में अवतरित हुईं। देवी पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने बलराम तथा अर्जुन के रूप में अवतार लिया। पांडव जब वनवास के दौरान कामाख्या शक्तिपीठ पहुंचे तो वहां उन्होंने तप किया। इससे प्रसन्न होकर माता प्रकट हुईं और उन्होंने पांडवों से कहा कि मैं श्रीकृष्ण के रूप में तुम्हारी सहायता करूंगी तथा कौरवों का विनाश करूंगी।
श्रीकृष्ण की लीलास्थली वृंदावन में एक ऐसा मंदिर विद्यमान है, जहां कृष्ण की काली रूप में पूजा होती है। उन्हें काली देवी कहा जाता है। यह भी मान्यता है कि जब राधा का विवाह अयंग नामक गोप के साथ होना तय हुआ था तब व्याकुल होकर राधा, 'कृष्ण-कृष्ण' पुकारने लगी थीं। तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें काली रूप में दर्शन देकर उनके दु:ख को दूर किया था। उसी दिन से श्रीकृष्ण की काली के रूप में पूजा होती है।