महाभारत के युद्ध के समय किस योद्धा की उम्र क्या रही होगी, जानिए

वर्तमान में इंसान अधिक से अधिक 100 वर्ष जी सकता है। प्राकृतिक रूप से व्यक्ति की उम्र 125 वर्ष तक ही हो सकती है। लेकिन यह अपवाद ही कहें या रहस्य कि देवहरा बाबा 750 वर्ष तक जिंदा रहे। उनकी मौत 1990 में हो गई थी। त्रैलंग स्वामी जिन्हें 'गणपति सरस्वती' भी कहते हैं, उनकी उम्र 286 वर्ष की थी। त्रैलंग स्वामी का जन्म नृसिंह राव और विद्यावती के घर 1601 को हुआ था। वे वाराणसी में 1737-1887 तक रहे। इसी तरह शिवपुरी बाबा थे, जो 27 सितंबर 1826 में जन्मे और जनवरी 1963 में उन्होंने देह त्याग दी। बंगाल के संत लोकनाथजी का जन्म 31 अगस्त 1730 को हुआ और 3 जून 1890 को उन्होंने देह छोड़ दी।
 
 
आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार मनुष्य की आयु लगभग 120 वर्ष बताई गई है लेकिन वह अपने योगबल से लगभग 150 वर्षों से ज्यादा जी सकता है। कहते हैं कि प्राचीन मानव की सामान्य उम्र 300 से 400 वर्ष हुआ करती थी, क्योंकि तब धरती का वातावरण व्यक्ति को उक्त काल तक जिंदा बनाए रखने के लिए था। पौराणिक और संस्कृत ग्रंथों के अनुसार भारत में ऐसे कई लोग हुए हैं, जो हजारों वर्षों से जीवित हैं। हिमालय में आज भी ऐसे कई ऋषि और मुनि हैं जिनकी आयु लगभग 600 वर्ष से अधिक होने का दावा किया जाता है।
 
 
हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि सदियों पहले ऐसे कई देवपुरुष थे, जो सैकड़ों और हजारों वर्षों तक जीवित रहे थे। पुराणों के अनुसार अश्‍वत्थामा, बालि, व्यास, जामवंत, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि के अलावा अन्य कई ऐसे लोग हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं। क्या यह संभव है कि कोई व्यक्ति हजारों वर्ष तक जीवित रह सकता है? रामायण काल के परशुराम और जामवंत महाभारत में भी नजर आते हैं।
 
 
हालांकि उस काल में 200 वर्ष की उम्र होना सामान्य बात थी। बौद्धों के काल तक भी भारतीयों की सामान्य उम्र 150 वर्ष हुआ करती थी। इसमें शुद्ध वायु, वातावरण और योग-ध्यान का बड़ा योगदान था। भीष्म जब युवा थे तब कृष्ण और अर्जुन हुए भी नहीं थे।
 
 
अब सवाल यह उठता है कि महाभारत युद्ध के समय भीष्म पितामह आदि की उम्र क्या रही होगी? आओ इसका एक विश्लेषण करते हैं।
 
 
पहले के प्रतिष्ठित लोग 4 आश्रमों का पालन करते थे अर्थात ब्रह्मचर्य आश्रम में 25 वर्ष रहने के बाद ही वे विवाह करते थे। लेकिन हम यहां मान लें कि उनमें से कई लोग ऐसा नहीं करते होंगे तब फिर उम्र की गणना कैसे होगी?
 
 
राजा शांतनु की पहली पत्नी गंगा से एक पुत्र हुआ जिसका नाम देवव्रत रखा गया। यह देवव्रत ही आगे चलकर भीष्म पितामह बने। जब इस देवव्रत की उम्र विवाह लायक हुई तब उसके वृद्ध पिता शांतनु से युवा सत्यवती ने विवाह किया। हम मान लेते हैं कि तब देवव्रत की उम्र 22 वर्ष तो रही होगी। मतलब शांतनु का द्वितीय विवाह भीष्म के 22 वर्ष की आयु में हुआ था।
 
 
अब शांतनु और सत्यवती के 2 पुत्र हुए एक चित्रांगद और दूसरा विचित्रवीर्य। विचित्रवीर्य के बालपन में ही राजा शांतनु का देहांत हो गया था। तब भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार अपने सौतेले भाई चित्रांगद को राजगद्दी पर बिठाकर शासन किया। जब चि‍त्रांगद बड़ा हो गया तो उसे राज्यभार सौंप दिया। उस वक्त निश्‍चित ही चित्रांगद की उम्र 20 वर्ष रही होगी अर्थात चित्रांगद के जन्म के पूर्व भीष्म की आयु 22 वर्ष थी, तो उसके बड़े होने पर 22+20=42 वर्ष रही होगी।
 
 
चित्रांगद के राजगद्दी पर बैठने के बाद उसने लगभग 8 वर्ष तक शासन किया और गंधर्वराज के साथ एक युद्ध में वह मारा गया। मतलब भीष्म की 42 वर्ष की आयु में 8 वर्ष जोड़ देने पर 50 वर्ष होती है। मतलब चित्रांगद की मृत्यु के समय भीष्म की आयु 50 वर्ष रही होगी।
 
 
चित्रांगद के बाद भीष्म ने विचित्रवीर्य को गद्दी पर बैठाया, जो अभी इस लायक नहीं था। मतलब बालपन में ही उसे गद्दी पर बैठाया गया। चित्रांगद के लगभग 28 वर्ष की उम्र में मरने के बाद उसका भाई विचित्रवीर्य राज्य शासन के योग्य अर्थात यौवन दशा को प्राप्त नहीं हुआ था। लगभग 5 वर्ष के बाद विचित्रवीर्य के प्रौढ़ होने पर उसका विवाह हुआ अर्थात चित्रांगद की 28 वर्ष में मृत्यु के 5 वर्ष बाद विचित्रवीर्य ने राजगद्दी का भार संभाला। तब उसका विवाह काशीराज की अम्बिका और अम्बालिका नामक 2 पुत्रियों से विवाह हुआ।
 
 
अर्थात इस समय भीष्म की आयु 50+5=55 वर्ष की रही होगी। विवाह होने के पश्चात 7वें वर्ष विचित्रवीर्य क्षयरोग से बीमार हो गया और 8 वर्ष में स्वर्ग सिधार गया। इस मान से भीष्म की आयु 55+8=63 वर्ष की रही होगी।
 
 
चित्रांगद और विचित्रवीर्य दोनों पुत्रहीन मरे थे इसलिए भीष्म के समक्ष यह यक्षप्रश्न था कि आगे किसे राज्य सौंपा जाए? तब सत्यवती ने भीष्म से कहा कि आप अम्बिका और अम्बालिका के साथ नियोग करके पुत्र उत्पन्न करो लेकिन भीष्म ने ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ले रखी थी। बहुत मनाने पर भी भीष्म नहीं माने तब सत्यवती ने अपने पराशर ऋषि के संयोग से उत्पन्न पुत्र कृष्ण द्वैपायन अर्थात वेद व्यासजी से नियोग के लिए अम्बिका और अम्बालिका को भेजा। वेद व्यास ने अम्बिका, अम्बालिक और एक दासी के साथ नियोग किया। इससे धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर का जन्म हुआ अर्थात इनके जन्म के समय भीष्म की आयु 63+2= 65 वर्ष की हो चुकी थी।
 
 
कहते हैं कि जब सत्यवती ने राजा शांतनु से विवाह किया था तो उसके पूर्व ही उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया था, जो कि पराशर का पुत्र था तथा जिसका नाम वेद व्यास था अर्थात व्यासजी की आयु भीष्म की अपेक्षा 16 वर्ष से कम मानी जा सकती है। इस मान से अम्बा और अम्बालिक के साथ नियोग के समय व्यासजी की आयु लगभग 50 वर्ष के करीब रही होगी।
 
 
धृतराष्ट्र अंधा होने के कारण राज्य के अयोग्य ठहरा लेकिन पांडु के प्रौढ़ होते ही पांडु को राज्य मिला। इतना होने के लिए कम से कम 18 वर्ष संपूर्ण होने आवश्यक हैं इसलिए पांडु के राज्य अभिषेक के समय भीष्म की आयु 65+18=83 वर्ष तो निश्चित ही रही होगी। राजा पांडु ने 10-12 वर्ष अच्छी प्रकार राज्य किया था जिसके पश्चात उनको क्षयरोग होने के कारण वे हिमालय की पहाड़ियों में जाकर रहने लगे और फिर ऐसे में धृतराष्ट्र को राजगद्दी मिली। उस समय भीष्म की आयु 83+12= 95 वर्ष के लगभग रही होगी।
 
 
इसके पश्चात 4-5 वर्षों की अवधि में युधिष्ठिर और दुर्योधन आदि का जन्म हुआ अर्थात पांचों पांडवों के जन्म के समय भीष्म लगभग 100 वर्ष की आयु को प्राप्त हो चुके थे। युधिष्‍ठिर और दुर्योधन की आयु में लगभग 1 या 2 वर्ष का ही अंतर प्रतीत होता है।
 
 
पांडव विद्या प्राप्त करके जब यौवन दशा को प्राप्त हुए तब दुर्योधन आदि कौरवों ने शकुनि के साथ मिलकर लाक्षागृह में पांडवों को जलाने की योजना बनाई, परंतु पांडव बच गए। उस समय समय युधिष्ठिर की आयु 20 वर्ष के लगभग तो रही होगी अर्थात भीष्म की आयु भी 100+20=120 वर्ष से कम न रही होगी। इसके पश्चात प्राय: 10-12 वर्ष तक पांडवों को कष्ट झेलना पड़े। बाद में कुछ राज्य देने की बात हुई। तब उस समय युधिष्ठिर की आयु कम से कम 32 वर्ष की और भीष्म की आयु 132 वर्ष की मानी जा सकती है।
 
 
इंद्रप्रस्थ मिलने के बाद पांडव राज्य करने लगे। लगभग 25 वर्षों में पांडवों ने दिग्विजय करके राज्यवैभव बहुत बढ़ाया और राजसूय यज्ञ किया। इस समय युधिष्ठिर की आयु 57 और भीष्म की आयु 157 वर्ष की हुई थी। राजसूय यज्ञ में पांडवों के वैभव और ऐश्वर्य को देखकर दुर्योधन के मन में कटुता उत्पन्न हुई और उसने उनका राजपाट छीनने के लिए एक कपट की रचना की। द्यूतक्रीड़ा में हार होने से पांडवों को 12 वर्ष का वनवास हुआ और 1 वर्ष अज्ञातवास हुआ। वनवास की समाप्ति के समय युधिष्ठिर की आयु (57+13=70 वर्ष) की थी और भीष्म की आयु 170 वर्ष मान ली जाए।
 
 
वनवास और अज्ञातवास की समाप्ति के बाद कुछ समय दोनों पक्षों का बातचीत करने में व्यतीत हुआ और उसके पश्चात महाभारत युद्ध हो गया और यह युद्ध 18 दिनों तक चला। उस वक्त भीष्म पितामह की आयु लगभग 170 वर्ष थी, जब वे महाभारत युद्ध करते हुए शरशैया पर शरीर त्याग गए। दरअसल, भीष्म सामान्य व्यक्ति नहीं थे। वे मनुष्य रूप में देवता वसु थे। उन्होंने ब्रह्मचर्य का कड़ा पालन करके योग विद्या द्वारा अपने शरीर को पुष्ट कर लिया था। दूसरा उनको इच्छामृत्यु का वरदान भी प्राप्त था। इसीलिए उनकी उम्र इतनी लंबी रही थी।
 
 
उपरोक्त बातें अनुमान पर आधारित हैं। अब आप भीष्म की उम्र के मान से अन्य सभी योद्धाओं की उम्र का अनुमान आसानी से लगा सकते हैं। कहते हैं कि युद्ध के 15 वर्ष बाद धृतराष्‍ट्र, गांधारी, विदुर आदि वन में चले गए थे। वहीं 2 वर्ष के अंतराल में उनकी जीवन लीला समाप्त हो गई थी।
 
 
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शोधानुसार महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व हुआ था, तब भगवान श्रीकृष्ण 55 या 56 वर्ष के थे। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि उनकी उम्र 83 वर्ष की थी। महाभारत युद्ध के 36 वर्ष बाद उन्होंने देह त्याग दी थी। इसका मतलब 119 वर्ष की आयु में उन्होंने देहत्याग किया था। आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ।
 
 
पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण की आयु 125 वर्ष बताई गई है जबकि ज्योतिषियों के मतानुसार उनकी आयु 110 वर्ष थी। ज्योतिषियों के अनुसार कलियुग के आरंभ होने से 6 माह पूर्व मार्गशीर्ष शुक्ल 14 को महाभारत का युद्ध का आरंभ हुआ था, जो 18 दिनों तक चला था। कलियुग का आरंभ श्रीकृष्ण के निधन के 36 वर्ष पश्चात हुआ।
 
 
इस युद्ध के समय अर्जुन 55, कृष्ण 83 और भीष्म कम से कम 150 वर्ष के थे। इन लोगों की उम्र के मान से ही अन्य सभी योद्धाओं की उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है। जैसे अर्जुन से युधिष्ठिर और दुर्योधन लगभग 2 साल बड़े रहे होंगे। भीम, सहदेव और नकुल दो साल छोटे रहे होंगे। इति महाभारत कथा।
 

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