2. गांधारी : कहते हैं कि गांधारी ने धृतराष्ट्र से मजबूरीवश विवाह किया था। इसका कारण भीष्म थे। धंधे महाराज धृतराष्ट्र के लिए भीष्म ने गांधार नरेश की राजकुमारी का बलपूर्वक विवाह धृतराष्ट्र से कराया था। गांधारी यह नहीं चाहती थी इसलिए उन्होंने भी अपनी आंखों पर हमेशा के लिए पट्टी बांध ली। धृतराष्ट्र, शकुनी और दुर्योधन के आगे गांधारी की एक नहीं चलती थी। वह हमेशा दुखी ही रही।
3. भानुमति : भानुमती काम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री थी। भानुपति बहुत ही सुंदर, आकर्षक, बुद्धिमान और ताकतवर थी। उसकी सुंदरता और शक्ति के किस्से प्रसिद्ध थे। यही कारण था कि भानुमती के स्वयंवर में शिशुपाल, जरासंध, रुक्मी, वक्र, कर्ण आदि राजाओं के साथ दुर्योधन भी गया हुआ था। कहते हैं कि भानुमति दुर्योधन से विवाह नहीं करना चाहती थी, लेकिन मजबूरन उसे विवाह करना पड़ा। दुर्योधन की पत्नी भानुमती युद्ध कला, शतरंज और कुश्ती में पारंगत थी। कहते हैं कि एक दिन उसने कुश्ती में दुर्योधन को भी पटकनी दे दी थी। भानुमती के कारण ही यह मुहावरा बना है- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। भानुमती बेहद ही सुंदर, आकर्षक, तेज बुद्धि और शरीर से काफी ताकतवर थी। गंधारी ने सती पर्व में बताया है की भानुमती दुर्योधन से खेल-खेल में ही कुश्ती करती थी जिसमें दुर्योधन उससे कई बार हार भी जाता था।
कहते हैं कि जब भानुमती हाथ में माला लेकर अपनी दासियों और अंगरक्षकों के साथ दरबार में आई और एक-एक करके सभी राजाओं के पास से गुजरी, तो वह दुर्योधन के सामने से भी गुजरी। दुर्योधन चाहता था कि भानुमती माला उसे पहना दें लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दुर्योधन के सामने से भानुमती आगे बढ़ गई। दुर्योधन ने क्रोधित होकर तुरंत ही भानुमती के हाथ से माला झपटकर खुद ही अपने गले में डाल ली। इस दृष्य को देखकर सभी राजाओं ने तलवारें निकाल लीं। ऐेसी स्थिति में दुर्योधन ने भानुमती का हाथ पकड़ा और वह उसे महल के बाहर ले जाते हुए सभी योद्धाओं से बोला, कर्ण को परास्त करके मेरे पास आना। अर्थात उसने सब योद्धाओं से कर्ण से युद्ध की चुनौती दी जिसमें कर्ण ने सभी को परास्त कर दिया। इस तरह दुर्योधन ने भानुमती के साथ जबरन विवाह कर लिया।
5. कुंती : कुंती को यह वरदान था कि वह किसी भी देवता को बुलाकर उनके साथ नियोग कर सकती थी। इस विद्या को उसने माद्री को भी सीखा दिया था। जिसके चलते माद्री को नकुल और सहदेव नामक दो पुत्र मिले और कुंति के पुत्र कर्ण, युद्धिष्ठिर, अर्जुन और भीम थे। कुंती वसुदेवजी की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ थीं। यह शरीरिक और मानसिक रूप बहुत शक्तिशाली थीं और इनके सपोर्ट में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण थें। गांधारी के बाद कुंती थीं जो सबसे शक्तिशाली महिला थीं।
- Anirudh Joshi