पांचों भाइयों के साथ एक कुत्ता भी था। यात्रा करते-करते पांडव हिमालय तक पहुंच गए। हिमालय लांघकर पांडव आगे बढ़े तो उन्हें बालू का समुद्र दिखाई पड़ा। इसके बाद उन्होंने सुमेरु पर्वत के दर्शन किए। पांचों पांडव, द्रौपदी तथा वह कुत्ता तेजी से आगे चलने लगे। तभी द्रौपदी लड़खड़ाकर गिर पड़ीं। इसके बाद नकुल, सहदेव, अर्जुन और अंत में भीम भी गिरकर मृत्यु को प्राप्त हो गए।
इसके बाद युधिष्ठिर कुछ ही दूर चले थे कि उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए स्वयं देवराज इन्द्र अपना रथ लेकर आ गए। तब युधिष्ठिर ने इन्द्र से कहा कि मेरे भाई और द्रौपदी मार्ग में ही गिर पड़े हैं तथा वे भी हमारे हमारे साथ चलें, ऐसी व्यवस्था कीजिए। तब इन्द्र ने कहा कि वे सभी पहले ही स्वर्ग पहुंच चुके हैं। वे शरीर त्यागकर स्वर्ग पहुंचे हैं और आप सशरीर स्वर्ग में जाएंगे।