आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने पर अड़ी शिवसेना, उद्धव बोले 50-50
शनिवार, 26 अक्टूबर 2019 (17:34 IST)
मुंबई। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि ढाई साल भाजपा का मुख्यमंत्री होना चाहिए और ढाई साल शिवसेना का। डिप्टी सीएम पद से संभवत: उद्धव ठाकरे इस बार मानने वाले नहीं हैं। दरअसल, महाराष्ट्र में भाजपा के साथ सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी चाहती है शिवसेना। गौरतलब है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में अपनी उम्मीद की अनुरूप प्रदर्शन करने में नाकाम रही है।
इस बीच, शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों ने नई सरकार में आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। गुरुवार को को घोषित हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में सत्तारूढ़ भाजपा को 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा।
निवर्तमान विधानसभा में भाजपा के पास 122 सीटें हैं। इस घटनाक्रम से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उद्धव ठाकरे नीत पार्टी कड़ी सौदेबाजी कर सकती है।
हम चाहते हैं उद्धव बनें मुख्यमंत्री : हालांकि, शिवसेना की सीटों की संख्या भी 2014 के 63 की तुलना में घटकर 56 हो गई है। पड़ोसी ठाणे शहर से विधायक प्रताप सरनाइक ने कहा कि हम आदित्य ठाकरे को अगला मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं, लेकिन उद्धवजी अंतिम फैसला लेंगे।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह कहा। दरअसल, उनसे पूछा गया था कि क्या शिवसेना भाजपा के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के स्थान पर अपना खुद का मुख्यमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस-राकांपा गठजोड़ की मदद लेगी। सरनाइक और अन्य नवनिर्वाचित विधायक पार्टी की एक बैठक में शामिल होने के लिए शनिवार को ‘मातोश्री’ (ठाकरे परिवार के आवास) में जुटे थे।
चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुए पार्टी के एक अन्य विधायक अब्दुल सत्तार ने भी सरनाइक के विचार का समर्थन किया। सत्तार ने कहा कि उद्धवजी इस पर अंतिम फैसला लेंगे। उन्हें पहले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का करीबी सहयोगी माना जाता था।
राज्य में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 105, शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं, राकांपा 54 और कांग्रेस 44 सीटों पर विजयी रही।
चुनाव परिणामों ने दिया भाजपा को झटका : चुनाव परिणामों से भाजपा को झटका लगा है क्योंकि पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ अपने बूते सरकार बनाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन चुनाव नतीजों के बाद बदले राजनीतिक परिदृश्य ने शिवसेना का मनोबल बढ़ा दिया है, जो बखूबी जानती है कि वह सौदेबाजी करने की स्थिति में है और मुख्यमंत्री पद के लिए आदित्य के नाम पर मुहर लगवा सकती है।
आदित्य (29) 1960 के दशक में पार्टी के गठन के बाद से चुनावी राजनीति में उतरने और जीत हासिल करने वाले ठाकरे परिवार के प्रथम व्यक्ति हैं।
वह मुंबई की वर्ली सीट से जीते हैं, जो शिवसेना का गढ़ है। गुरुवार को शिवसेना ने अपने कड़े तेवर दिखाते हुए भाजपा को ‘50:50 फार्मूले’ की याद दिलाई थी, जिस पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, ठाकरे और फडणवीस के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सहमति बनी थी।
सूत्रों के मुताबिक इस फार्मूले के मुताबिक शिवसेना और भाजपा के चक्रीय आधार पर मुख्यमंत्री होंगे और दोनों दलों को कैबिनेट में बराबर संख्या में जगह मिलेगी। ठाकरे ने कहा था कि मैं (शिवसेना) लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कम सीटों पर चुनाव लड़ा। मैं हर बार भाजपा के लिए जगह नहीं छोड़ सकता। मैं भाजपा को उस फार्मूले की याद दिलाना चाहता हूं जो अमित शाह की मौजूदगी में बनाया गया था।
कांग्रेस में विरोधाभास : महाराष्ट्र में कुछ दिलचस्प संभावना के बारे में अटकलें उस वक्त शुरू हुई थीं, जब चुनाव नतीजे के दिन पूर्व मुख्यमंत्रियों एवं कांग्रेस के नेता अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि पार्टी को भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए हर विकल्प पर विचार करना चाहिए। हालांकि, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना का समर्थन करने की बात से इनकार किया।
वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट ने भी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने कहा कि यदि शिवसेना कोई प्रस्ताव लेकर आती है तो (प्रदेश) कांग्रेस अपने आलाकमान से सलाह मांगेगी। शिवसेना आदित्य का नाम राज्य के अगले मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर रही है।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बार-बार कहा है कि फडणवीस मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे। शिवसेना सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को ट्विटर पर एक कार्टून पोस्ट कर भाजपा पर निशाना साधा था।