विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में फुके ने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना की कार्यशैली से पार्टी में असंतोष पैदा हुआ। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में जो विद्रोह हुआ, वह पार्टी में उनके और अन्य नेताओं के साथ किए गए व्यवहार का परिणाम था। इसके लिए देवेंद्र फडणवीस को दोषी ठहराना गलत है।
फुके ने राऊत पर पलटवार करते हुए कहा कि सच यह है कि संजय राऊत जैसे नेताओं ने अपनी ही पार्टी में दमघोंटू माहौल पैदा कर दिया था। उन्हीं के व्यवहार ने शिंदे जैसे वफादार नेताओं को इस कगार तक पहुंचा दिया। जो दूसरों को गद्दार कह रहे हैं, उन्हें पहले अपने आचरण पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फडणवीस की इस विभाजन में कोई भूमिका नहीं थी।
फुके ने कहा कि भाजपा पर उंगली उठाना आसान है, लेकिन असली वजह शिवसेना (अविभाजित) के नेतृत्व और आंतरिक विवादों में है। जून 2022 में एकनाथ शिंदे और 39 विधायकों ने शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी, जिससे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी (MVA) सरकार गिर गई थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।
बाद में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते हुए उसे धनुष-बाण चुनाव चिन्ह आवंटित किया, जबकि ठाकरे गुट को शिवसेना (यूबीटी) नाम और मशाल चुनाव चिन्ह दिया गया। जुलाई 2022 में मुख्यमंत्री रहते हुए एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में कहा था कि फडणवीस उनके विद्रोह के वास्तविक सूत्रधार थे।