Nagpur violence: नागपुर (Nagpur) की एक स्थानीय अदालत ने यहां हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार 17 लोगों को 22 मार्च यानी शनिवार तक पुलिस हिरासत (police custody) में भेज दिया है। अदालत ने आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजते समय अपराध की गंभीरता और प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ पुख्ता आरोप लगाए जाने का हवाला दिया।
अफवाहों के बीच हिंसा भड़की : छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन के दौरान पवित्र आयत लिखी चादर जलाए जाने की अफवाहों के बीच हिंसक भीड़ ने सोमवार शाम नागपुर के कई इलाकों में पथराव और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया।
अदालत ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा अपराध की गंभीरता को देखते हुए जांच एजेंसी के समक्ष आरोपियों की शारीरिक उपस्थिति सुनिश्चित करना आवश्यक है, क्योंकि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपियों के खिलाफ आरोप पुख्ता हैं।
अपराध के समय भीड़ मौजूद थी : अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि भले ही गिरफ्तार किए गए कुछ आरोपियों के नाम प्राथमिकी में नहीं हैं लेकिन जांच के दौरान उनकी संलिप्तता सामने आई। अदालत ने कहा कि अपराध के समय भीड़ मौजूद थी और इसलिए प्रत्येक आरोपी की भूमिका बता पाना बेहद कठिन है। अदालत ने कहा कि मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है और विस्तृत जांच अभी पूरी होनी बाकी है।
आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन पर राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों में संलिप्त होने, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, दंगा करने, उकसाने, साजिश करने, महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने, महिला को निर्वस्त्र करने का प्रयास करने, महिला की गरिमा का अपमान करने, हत्या का प्रयास करने, आम आदमी और लोक सेवक को चोट पहुंचाने समेत कई आरोप लगाए गए हैं।
सोमवार की हिंसा के दौरान पुलिस उपायुक्त रैंक के तीन अधिकारियों सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने हिंसा के मुख्य आरोपी एवं माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी की शहर इकाई प्रमुख फहीम खान और 5 अन्य के खिलाफ राजद्रोह और सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। खान को 19 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वह अब न्यायिक हिरासत में है।(भाषा)