ऑपरेशन सिंदूर पर विवादास्पद पोस्ट करने वाली छात्रा को मिली जमानत, बंबई हाई कोर्ट ने दिया तत्काल रिहाई का आदेश

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 27 मई 2025 (20:01 IST)
Student who posted on India Pakistan conflict gets bail : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष (India-Pakistan conflict) पर सोशल मीडिया (social media) पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार पुणे की 19 वर्षीय छात्रा को मंगलवार को जमानत पर तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि छात्रा की पोस्ट पर उसने (महाराष्ट्र सरकार ने) बेहद चौंकाने वाली और कट्टर प्रतिक्रिया दी है। अदालत ने उसे तत्काल रिहा करने का आदेश दिया, जिससे अपनी कॉलेज परीक्षाओं में शामिल हो सके।
 
न्यायमूर्ति गौरी गोडसे और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरसन की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यह पूर्णतया शर्मनाक है कि सरकार ने छात्रा के साथ कट्टर अपराधी जैसा व्यवहार किया है। अदालत ने छात्रा को तत्काल जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया तथा यह भी कहा कि छात्रा को गिरफ्तार ही नहीं किया जाना चाहिए था, क्योंकि उसने तुरंत पोस्ट डिलीट कर दिया था, पश्चाताप भी किया था और माफी भी मांगी थी।ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट NEET PG परीक्षा 2 पालियों में कराने को चुनौती देने वाली याचिका पर करेगा सुनवाई
 
क्या कहा पीठ ने : पीठ ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें लड़की को अब हिरासत में रहना पड़े और उसे (छात्रा को) मंगलवार को ही रिहा किया जाना चाहिए। अदालत ने राज्य और उसके शैक्षणिक संस्थान दोनों को फटकार लगाते हुए सिंहगढ़ एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा जारी निष्कासन आदेश को भी निलंबित कर दिया तथा कॉलेज को उसे हॉल टिकट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
 
पीठ ने कहा कि  याचिकाकर्ता (छात्रा) को मंगलवार को ही यरवदा जेल से जमानत पर रिहा किया जाएगा। अदालत ने कहा कि जेल के संबंधित अधिकारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि उसे आज शाम को ही रिहा कर दिया जाए, ताकि वह अपनी कॉलेज परीक्षा में शामिल हो सके।
 
कॉलेज द्वारा पारित निष्कासन आदेश को भी निलंबित कर दिया : अदालत ने लड़की के कॉलेज द्वारा पारित निष्कासन आदेश को भी निलंबित कर दिया तथा संस्थान को उसे हॉल टिकट जारी करने का निर्देश दिया ताकि वह परीक्षा में शामिल हो सके। अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि निष्कासन आदेश छात्रा को अपना स्पष्टीकरण देने का अवसर दिए बिना जल्दबाजी में जारी किया गया है।ALSO READ: सिर्फ मनोरंजन के लिए ताश खेलना अनैतिक आचरण नहीं : सुप्रीम कोर्ट
 
ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में पोस्ट किया था : पुणे की छात्रा को ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में भारत एवं पाकिस्तान के बीच शत्रुता को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करने के लिए इस महीने की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। छात्रा इस समय न्यायिक हिरासत में है। छात्रा ने कॉलेज द्वारा उसे निष्कासित करने के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था, वहीं उसकी वकील फरहाना शाह ने भी मंगलवार को प्राथमिकी रद्द करने और जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की।
 
अदालत ने लड़की को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया, साथ ही उसे परीक्षाओं में बैठने की अनुमति भी दे दी। इसने लड़की को जिम्मेदारी से काम करने और सोशल मीडिया पर इस तरह के पोस्ट अपलोड करने से बचने की चेतावनी भी दी। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से इस तरह की कट्टर प्रतिक्रिया अनुचित थी और इसने एक छात्रा को अपराधी बना दिया है।
 
अदालत ने टिप्पणी की, यह एक बेहद चौंकाने वाला मामला है। क्या पुलिस लड़की की जिंदगी बर्बाद करने पर तुली हुई है? क्या वह एक कट्टर अपराधी है? उसने अपने कॉलेज द्वारा उसे निष्कासित करने के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। पीठ ने कहा कि  लड़की ने कुछ पोस्ट किया और फिर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तथा उसने माफी मांगी। उसे सुधरने का मौका देने के बजाय राज्य सरकार ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसे अपराधी बना दिया।
 
अदालत ने सरकार और कॉलेज के आचरण पर सवाल उठाए। उसने कहा कि  कोई अपनी राय व्यक्त कर रहा है और आप इस तरह से उसका जीवन बर्बाद कर रहे हैं? एक छात्रा का जीवन बर्बाद हो गया है। अतिरिक्त सरकारी वकील पी पी काकड़े ने कहा कि किशोरी की पोस्ट राष्ट्रीय हित के खिलाफ है।
 
अदालत ने हालांकि कहा कि उस छात्रा द्वारा अपलोड की गई पोस्ट से राष्ट्रीय हित को नुकसान नहीं होगा जिसने अपनी गलती का एहसास हो गया है और जिसने माफी मांगी है। अदालत ने कहा कि  राज्य इस तरह से किसी छात्रा को कैसे गिरफ्तार कर सकता है? क्या राज्य चाहता है कि छात्र अपनी राय व्यक्त करना बंद कर दें? राज्य की ओर से इस तरह की उग्र प्रतिक्रिया व्यक्ति को और अधिक कट्टरपंथी बना देगी।ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, हाई कोर्ट के सभी न्यायाधीश पूर्ण पेंशन के हकदार
 
पीठ ने लड़की को निष्कासित करने के लिए कॉलेज की भी आलोचना करते हुए कहा कि किसी शैक्षणिक संस्थान का दृष्टिकोण सुधारने का होना चाहिए, न कि दंडित करने का। अदालत ने कहा कि किसी शैक्षणिक संस्थान का काम सिर्फ अकादमिक शिक्षा देना ही नहीं, बल्कि छात्रों को सुधारने में मदद करना भी है तथा कॉलेज को लड़की को सफाई देने का अवसर देना चाहिए था। अदालत ने कहा कि  उसे सुधारने और समझाने के बजाय, आपने उसे अपराधी बना दिया है। आप चाहते हैं कि छात्रा अपराधी बन जाए? अदालत ने कहा कि लड़की की उम्र ऐसी है जिसमें गलतियां होना स्वाभाविक है।
 
लड़की ने 7 मई को इंस्टाग्राम पर रिफॉर्मिस्तान नामक अकाउंट से एक पोस्ट साझा की थी जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य संघर्ष के लिए भारत सरकार की आलोचना की गई थी। इस पोस्ट को लेकर आलोचना होने और धमकियां मिलने के बाद छात्रा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने 2 घंटे के भीतर पोस्ट को हटा दिया। छात्रा ने निष्कासन रद्द करने का उच्च न्यायालय से अनुरोध किया और उसे 24 मई से शुरू होने वाली सेमेस्टर परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दी जाए।
 
सूचना प्रौद्योगिकी की द्वितीय वर्ष की छात्रा ने दलील दी थी कि सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से संबद्ध एक निजी गैर-सहायता प्राप्त कॉलेज सिंहगढ़ एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा पारित निष्कासन आदेश मनमाना और गैरकानूनी था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसने बिना किसी दुर्भावना के सोशल मीडिया पोस्ट को पुन:पोस्ट किया था और तुरंत माफी मांग ली थी।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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