महात्मा गांधी को प्रिय 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' यह भजन 15वीं शताब्दी के गुजरात के संत कवि नरसी मेहता द्वारा रचित एक अत्यंत लोकप्रिय भजन है। इसमें वैष्णव जनों के लिए उत्तम आदर्श और वृत्ति क्या हो, इसका वर्णन किया गया है। यह भजन गांधी जी के नित्य की प्रार्थना में सम्मिलित था।
वैष्णव जण तो तेणे कहिए जे
पीर पराई जाणे रे
पर दुक्खे उपकार करे तोए,
मन अभिमान न आणे रे।
परधन न जला हाथ रे।
मोह-माया व्यायी नहीं जेणे,
दृढ़ वैराग्य जेणे मनमा रे,