महावीर जयंती के अवसर पर पढ़िए भगवान महावीर के सिद्धांत और जीवन बदलने वाले अमूल्य विचार

WD Feature Desk

सोमवार, 7 अप्रैल 2025 (15:54 IST)
Mahavir jayanti 2025: भगवान महावीर, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, जिनका संपूर्ण जीवन मानवता के कल्याण के लिए समर्पित रहा। उनका जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व प्राचीन भारत में वैशाली गणराज्य के कुंडलपुर में हुआ था। महावीर स्वामी के जन्म को महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन मनाया जाता है। भगवान् महावीर ने मानव समाज को अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, क्षमा और अस्तेय जैसे महान मूल्यों का उपदेश दिया, जिसकी प्रासंगिकता आज भी है। इस लेख में हम भगवान महावीर के कुछ चुनिंदा सुविचार प्रस्तुत कर रहे हैं।

भगवान महावीर के अनमोल वचन
  1. अहिंसा परम धर्म है।
  2. दुख का कारण है – परद्रव्य की इच्छा, सुख का कारण है – संतोष।
  3. सत्य बोलो, अहिंसा का पालन करो, अपरिग्रह धारण करो।
  4. जो सब जीवों को मित्र भाव से देखें, वही सच्चा साधु है।
  5. आत्मा ही सच्चा स्व है, शरीर तो क्षणभंगुर है।
  6. कर्म ही भाग्य है।
  7. संसार में कोई भी शत्रु नहीं है, आपकी आत्मा से परे।
  8. सब जीवों में आत्मा है, किसी को भी हिंसा न पहुँचाओ।
 
भगवान महावीर के जीवन बदलने वाले कथन
  1. जो मनुष्य अपने आपको जीत लेता है, वही सच्चा विजेता है।
  2. ज्ञान ही सबसे बड़ा धन है।
  3. मनुष्य अपने स्वंय के दोष की वजह से ही दुखी होता है और इसलिए खुद अपनी गलती में सुधार करके ही स्वंय को प्रसन्न कर सकते हैं।
  4. आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असली रूप को न पहचान पाना है। अपने असली रूप की पहचान केवल आत्म ज्ञान प्राप्त करने के बाद ही हो सकती है।
  5. ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं है और हर व्यक्ति देवदत्त प्राप्त कर सकता है, अगर वह सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करें।
  6. जैसे आग को ईंधन से नहीं बुझाया जा सकता बिल्कुल उसी प्रकार जीवित व्यक्ति तीनों लोको की सारी धन दौलत पाकर भी संतुष्ट नहीं हो सकता।
  7. आत्मा अकेले आती है और अकेले ही चली जाती है। न कोई साथ आता है और न ही कोई आत्मा का मित्र होता है।
  8. किसी व्यक्ति के अस्तित्व को मिटाने की बजाय उसे शांति से जीने दें और खुद भी शांति से जीने का प्रयास करें। तभी आपका और सबका कल्याण होगा।
  9. व्यक्ति की आत्मा ही उसकी शत्रु होती है। आपका असली शत्रु आपके भीतर ही है जो कि क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत है।
  10. प्रत्येक जीवित व्यक्ति के प्रति दयाभाव रखो, क्योंकि नफरत और घृणा करने से स्वंय का विनाश होता है।
  11. अगर हमने कभी किसी के लिए अच्छा काम किया है तो उसे भूल जाएं और अगर किसी ने आपके साथ कुछ बुरा किया है, तो उसे भी भूल जाना चाहिए।
  12. खुद से लड़ो, बाहर के शत्रुओं से क्या लड़ना, जो व्यक्ति खुद से लड़ना सीख जाए उसे जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है।
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भगवान महावीर के सिद्धांत
युवाओं के लिए भगवान महावीर के सिद्धांत एक ऐसा माध्यम बन सकता है, जो युवाओं के आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक हो। भगवान महावीर के सिद्धांत कुछ इस प्रकार हैं:
अहिंसा: किसी भी जीव को किसी भी रूप में नुकसान न पहुंचाना।
सत्य: सच बोलना और सच्चा जीवन जीना।
अचौर्य: चोरी न करना।
ब्रह्मचर्य: यौन शुद्धता का पालन करना।
अपरिग्रह: मोह-माया और भौतिक वस्तुओं से अनासक्ति।
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