लगभग 2500 वर्ष पहले अहिंसा और सहिष्णुता की शिक्षा देने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है। उनके सिद्धांत और आदर्श वर्तमान संदर्भों में सभी के लिए प्रासंगिक हैं। सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और अस्तेय आदि अनेक उपदेशों को अपनाकर आज भी रामराज्य की स्थापना की जा सकती है।
वर्धमान महावीर का जन्मदिन महावीर जयंती के रुप मे मनाया जाता है। वर्धमान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान आदिनाथ की परंपरा में चौबीसवें तीर्थंकर थे। वे कठोर तप से इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर जिन अर्थात विजेता कहलाए। संतों का कहना है कि भगवान महावीर अभी के लिए हैं और सभी के लिए हैं....
FILE
कोई भी सुखी नहीं रह सकता
भगवान महावीर ने कहा था कि दूसरों को दुखी बनाकर कोई सुखी नहीं रह सकता। महावीर से बढ़कर इस जगत में कोई साधना नहीं है। इसमें असीम सुख, शांति और तृप्ति के साथ ही जीवन की ऊंचाइयों और गहराइयों को छूने की शक्ति है।
FILE
एक होकर आगे बढ़े जैन बंधु
महावीर जंयती के दिन दिगंबर एवं श्वेतांबर जैन बंधुओं को एक होकर आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए। अपनी मान्यताओं और अपने अहम को ताक में रखकर एक मंच पर आकर समाज कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।
FILE
धन से नहीं मन से धर्म हो
महावीर के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। आज धर्म और धर्माचार्यों पर अंगुली उठती है। ऐसे विषम माहौल में समाजजनों को उन लोगों को आगे लाना चाहिए जो सच्चे साधुसंत हैं और निःस्वार्थ भाव से समाज व धर्म की सेवा कर रहे हैं।
FILE
अहिंसा और मैत्री आज की जरूरत
अहिंसा और मैत्री की आज दुनिया को जरूरत है और भगवान महावीर ने यही संदेश दुनिया को दिया था। आज धर्म में दिखावा और आडंबर अधिक आ गया है। अपना नाम गुप्त रखकर गरीबों और पीड़ितों की सेवा करें।
FILE
अहिंसा सब समस्याओं का समाधान
विश्व की समस्याओं का एक ही समाधान है- भगवान महावीर के अहिंसा के सिद्धांत का पालन करना। भगवान महावीर ने कहा था- मैं अपने भक्तों को ही अपनी परतंत्रता से मुक्ति देता हूं। इस स्वतंत्रता का अर्थ हमने बदल दिया।
FILE
'मैं और मेरा' से मुक्त करें अपने को
महावीर सभी के लिए हैं। मनुष्य यदि आज मैं और मेरा- इन दो चीजों से अपने को मुक्त कर ले तो मोक्ष संभव है। बच्चों को हमेशा सुसंस्कार दें। जीवन में पहला स्थान माँ का, दूसरा पिता और तीसरा स्थान गुरु का होता है। त्याग जीवन को उन्नत बनाता है।
FILE
अलगाव की नीति खतरनाक
तीर्थंकर महावीर ने विश्व मैत्री का अनुपम सूत्र दिया है। नमक की भांति जियो जो सबका स्वाद बढ़ाता है, शकर की तरह घुल जाओ जो सबको मधुरता देती है और प्राण वायु यानि ऑक्सीजन की तरह जियो यानि सबको जीवन दो। यही भगवान महावीर का संदेश है।