महावीर की दिनचर्या और परिवार

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महावीर जब युवा हो गए तो उनका कद सात हाथ ऊँचा था। शरीर पर चक्र, स्वस्तिक, तारामंडल, सूर्य, चंद्र आदि 1008 शुभ माँगलिक लक्षण सुशोभित थे। निर्मल शरीर स्वेद (पसीना) रहित और सुगंधियुक्त था। शरीर का वर्ण तप्तस्वर्ण के समान था। रक्त श्वेतवर्णा था।

भगवान महावीर की पारिवारिक पृष्‍ठभूमि धर्म-कर्म प्रधान थी। उनके माता-पिता भगवान पार्श्वनाथ की पूजा करते थे और उनकी शिक्षाओं पर चलते थे। विषयों में अनासक्त और साधना प्रेमी महावीर के लिए यह वातावरण प्रेरणा का काम करता था।

प्रात:कालीन कर्मों के बाद महावीर अल्पाहार ग्रहण करते थे। उसके बाद आत्मकेंद्रित साधना में लीन हो जाते थे। तद्‍ंतर दान-दक्षिणा देना और प्रजा की समस्याओं का समाधान करना उनका नियम था। कुछ समय वे माता-पिता के काम में भी हाथ बँटाते थे।

उनके एक बड़े भाई थे, जिनका नाम नंदीवर्द्धन था। महावीर के मुनि बनने के बाद वे राज्य के राजा बने थे। उनकी एक बहन सुदर्शना थी। उसका पुत्र जामालि उस समय बहु्त प्रसिद्ध व्यक्ति हुआ। भाई और बहन भी‍ महावीर से बहुत स्नेह करते थे।

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