1. इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि देव जो मकर राशि का स्वामी है के घर मिलने जाते है। ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं है, लेकिन सूर्य खद अपने पुत्र के घर जाते हैं। इसलिए पुराणों में यह दिन पिता पुत्र के संबंध में निकटता के रूप में मनाया जाता है।
4. दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए इसी दिन धरती में कदम रखा था।
5. पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायन होने पर स्वेच्छा से शरीर त्याग किया था। क्योंकि उत्तरायन में शरीर त्यागने वाले व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष मिलता है या देवलोक में रहकर आत्मा पुनः गर्भ में लौटती है।