इस वर्ष भी मकर संक्रांति पर सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में पहुंचने पर पूरे प्रदेश में मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान व दान-पुण्य का महत्व है। इसके साथ ही माघ स्नान की भी शुरुआत हो जाएगी। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का अनूठा महत्व है। सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे और खरमास समाप्त हो जाएगा। प्रयाग में कल्पवास भी मकर संक्रांति से शुरू होगा।
शास्त्रों में कहा गया है कि सूर्यास्त से पहले सूर्य का संक्रमण हो तो उसी तिथि व दिन मकर संक्रांति मनाना शास्त्रसम्मत है। इस बार सिद्धि योग और पारिजात योग का शुभ संयोग बन रहा है। त्रयोदशी तिथि रविवार को आने से सिद्धियोग बन रहा है। गुरु और मंगल तुला राशि में रहने से पारिजात योग बनेगा। मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, चूड़ा-दही, खिचड़ी, लकड़ी और अग्नि दान किया जाता है। इस दिन राशि अनुसार दान कर इसका विशेष फल पा सकते हैं।
मकर: कंबल, गुड़
कुंभ: कंबल, घी
मीन: चना दाल, तिल
मकर संक्रांति पर सभी के लिए सामान्य दान : तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल।