जानिए संक्रांति पर्व को, कैसे मनाएं यह दिन
मकर संक्रांति को सूर्य के संक्रमण का त्योहार माना जाता है। एक जगह से दूसरी जगह जाने अथवा एक-दूसरे का मिलना ही संक्रांति होती है। सूर्य जब धनु राशि से मकर पर पहुंचता है तो मकर संक्रांति मनाई जाती है।
* यदि तीर्थ का जल उपलब्ध न हो तो दूध, दही से स्नान करें।
* तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है।
* स्नान के उपरांत नित्य कर्म तथा अपने आराध्य देव की आराधना करें।
* पुण्यकाल में दांत मांजना, कठोर बोलना, फसल तथा वृक्ष का काटना, गाय, भैंस का दूध निकालना व मैथुन काम विषयक कार्य कदापि नहीं करना चाहिए।
पुण्य पर्व है संक्रांति :
उत्तरायण देवताओं का अयन है। यह पुण्य पर्व है। इस पर्व से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। उत्तरायण में मृत्यु होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है। पुत्र की राशि में पिता का प्रवेश पुण्यवर्द्धक होने से साथ-साथ पापों का विनाशक है।
उत्तरायण का समय देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन का समय देवताओं की रात्रि होती है, वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा गया है। मकर संक्रांति के बाद माघ मास में उत्तरायण में सभी शुभ कार्य किए जाते हैं।