संक्रांति प्रतिमाह आती है क्योंकि सूर्य हर माह राशि परिवर्तन करता है। सूर्य के धनु एवं मीन राशि में गोचर से खरमास का प्रारम्भ होता है, जिसे मलमास भी कहते हैं। इसी प्रकार जब सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं तब इसे मकर संक्रांति कहते हैं। हर वर्ष की संक्रांति विशेष ग्रह नक्षत्रों और आयुध एवं वाहनों से युक्त होती है। सभी का फल अलग अलग माना गया है।
इस बार संक्रंति का वाहन व्याघ्र, उपवाहन अश्व है। आयुध गदा है। वारमुख पश्चिम, करण मुख दक्षिण और दृष्टि ईशान है। वस्त्र पीला, आभूषण कङ्कण, कन्चुकी हरि, स्थिति बैठी हुई और वर्ण भूत है।
एक अन्य मान्ता के अनुसार इस बार की मकर संक्रांति का वाहन वाराह रहेगा जबकि उपवाहन वृषभ यानी बैल रहेगा। इस वर्ष संक्रांति का आगमन हरित वस्त्र व हरित कंचुकी, मुक्ताभूषण (मोती), बकुल पुष्प धारण किए वृद्धावस्था में चन्दन लेपन कर खड्ग आयुध (शस्त्र) लिए तामपात्र में भिक्षान्न भक्षण करते हुए पश्चिमाभिमुख उत्तर दिशा के ओर गमन करते हो रहा है।