'ॐ नमः खखोल्काय'
भगवान सूर्य अपने सारथि 'अरुण" से इस मंत्र के विषय में कहते हैं- हे खगश्रेष्ठ। मेरे मंडल के विषय में सुनो। मेरा कल्याणमय मंडल "खखोल्क" नाम से विद्वानों के ज्ञान मंडल में और तीनों लोकों में विख्यात है। यह तीनों देवों एवं तीनों गुणों से परे एवं सर्वज्ञ है। यह सर्वशक्तिमान है। "ॐ" इस एकाक्षर मंत्र में यह मंडल अवस्थित है। जैसे घोर संसार-सागर अनादि है वैसे ही "खखोल्क" भी अनादि है और संसार-सागर का शोधक है।
जैसे व्याधियों की औषधि होती है वैसे ही यह मंत्र संसार-सागर के लिए औषधि है। मोक्ष चाहने वालों के लिए मुक्ति का साधन और सभी अर्थो का साधक है। खखोल्क नाम का यह मंत्र सदैव उच्चारण और स्मरण करने योग्य है। जिसके हृदय में "ॐ नमः खखोल्काय" मंत्र स्थित है उसी ने सब कुछ पढ़ा है सुना है और अनुष्ठित किया है, ऐसा समझना चाहिए। ।