पहला तो मंदिर संस्थान द्वारा पूजा और आरती के बाद नि:शुल्क प्रसाद वितरण होता है, जो पंचामृत के साथ ही पंजीरी प्रसाद होता है। इसके अलावा दूसरे तरह का प्रसाद मंदिर के बाहर मिलता है और यह प्रसाद उन लोगों को भी दिया जाता है जो भक्त यहां पर मंगल शांति के लिए अभिषेक कराते हैं। तीसरा प्रसाद महाप्रसाद होता है। परंतु यदि आप मंगल देव को फूल, नारियल आदि के साथ प्रसाद अर्पित करना चाहें तो यह गोड़ सेव नाम का प्रसाद आपको मंदिर के बाहर से उचित मूल्य पर यह प्रसाद मिल जाएगा। दोनों ही तरह के प्रसाद बहुत ही स्वादिष्ट और अद्भुत होता है। मंदिर परिसर में ही आप रेवा महिला गृह उद्योग द्वारा निर्मित प्रसाद के रूप में आप स्वादिष्ट पेड़ा भी ले सकते हैं।
गोड़ सेव का प्रसाद : गोड़ सेव नाम का प्रसाद यहां का सबसे लोकप्रिय प्रसाद है। इसे मंगल का प्रसाद कहते हैं। यहां पर यह गोड़ सेव सुमण कांता पाटिल बनाती है। उनका कहना है कि यह सेव बेसन से बनाई जाती है, इसमें तेल का मौन लगता है। सेव बनने के बाद उसे दो दिन ऐसा ही रखा जाता है। इसके बाद लाल गुड़ का पाक बनता है और फिर उस पाक को सेव पर लपेटा जाता है।
यह एक प्रकार की मीठी सेव रहती है। यह विशेष तरीके से बनता है। यह चने की दाल से बेसन बनाकर, घी और गुड़ से बनता है। गुड़ भी शुद्ध गन्ने का होता है जिसमें केसर को मिलाया जाता है। यह बहुत ही स्वादिष्ट प्रसाद है जो कभी भी खराब नहीं होता है। यहां पर जो भी भक्त आता है वह यहां का प्रसाद अपने घर ले जाना नहीं भूलता है।
कहते हैं कि यथाशक्ति जितना आप प्रसाद वितरण करेंगे उतनी मंगल देव की कृपा प्राप्त होगी, क्योंकि कहते हैं कि रेवड़ी, गुड़, मिष्ठान, मिश्री, लाल चंदन, लाल फूल, लाल कपड़ा आदि का दान देने या लेने से मंगल दोष दूर होता है। इसलिए यहां का प्रसाद महत्वपूर्ण माना गया है जो लाल फूल और लाल कपड़े के साथ मिलता है।
इसी के साथ यहां पर मंगलवार को मंगल दोष भी शांति भी होती है और मंगल देव की कृपा से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर क्षेत्र में भक्तों के रहने, ठहरने और दर्शन करने की उचित व्यवस्था है। इसी के साथ ही उचित मूल्य पर खाने की भी उत्तम व्यवस्था भी है। मंदिर के अंदर और बाहर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता है। खास बात यह है कि यहां पर किसी भी प्रकार का वीआईपी दर्शन भी नहीं होता है।