पहचानें बच्चे की प्रतिभा....

- राजश्री कासलीवा

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आपने कहीं-न-कहीं अवश्य ही यह सुना होगा- कि ''बच्चे को जन्मजात ही अमुक-अमुक हुनर ईश्वर के यहाँ से गिफ्ट मिला है, या यह प्रतिभा तो उसे ईश्वर ने जन्म के साथ ही दे दी है।'' यह बात बहुत हद तक सच भी होती है क्योंकि हर बच्चे में कोई न कोई अच्छाई या यूँ कहे कि किसी एक कला को लेकर उसकी रुचि अवश्य होती है जो हमें दिखाई तो देती है, लेकिन समयाभाव के कारण हम बच्चों की उस प्रतिभा से रू-ब-रू नहीं हो पाते जिससे कि आपका बच्चा प्रतिभावान होते हुए भी अपनी प्रतिभा को खुलकर दिखाने में कामयाब नहीं हो पाता। इसके कई कारण भी हो सकते हैं।

* कई माँ-बाप ऐसे हैं जो जबरदस्ती अपने बच्चों पर उनकी बात थोपते हैं या उन्हें हर बार कुछ न कुछ कह कर अपनी बात मनवाने के लिए मजबूर करते हैं। इससे होता यह है कि आपका बच्चा प्रतिभावान होने के बाद भी जीवन में सही मायनों में कुछ भी नहीं कर पाता क्योंकि वह करना कुछ और चाहता है और आप उसे कहीं और ही धकेल देते हैं। ऐसे में बच्चे मायूस हो जाते हैं। और कुछ भी न कर पाने की क्षमता उनमें विकसित होती चली जाती है। फिर माँ-बाप हर किसी के सामने अपने बच्चों की कमियों और खामियों को कहते फिरते हैं जिससे बच्चों के मन में कुंठा घर कर लेती है और उस वजह से बच्चा मन ही मन कुढ़ता रहता है, तनावग्रस्त हो जाता है और कुछ भी नहीं कर पाता।

* दूसरी ओर कई माँ-बाप ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों की बातों को ध्यान से सुनते हैं, उनका हौसला बढ़ाते हैं उनकी हर बात को तो नहीं लेकिन फिर भी कुछेक बातों को सुनकर-समझकर फैसला करते हैं जिससे बच्‍चों की रुचि बढ़ती ही चली जाती है और वे बच्चे बड़े होकर एक-न-एक दिन समाज में अपनी प्रतिभा का ऊँचा झंडा फहराते हैं और यह सब हो पाता है माता-पिता या घर के बड़े-बुजुर्गों के द्वारा बढ़ाए गए उनके आत्मविश्वास से।

* अगर आप अपने बच्चों की प्रतिभा को सँवारने का प्रयास कर रहे हैं तो ऐसे में आप उनका हौसला बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें मुखर बनान
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की भी कोशिश करें यह उनकी प्रतिभा को निखारने में बहुत सहायक होगा। मुखर बच्चे कहीं भी अपनी बात के प्रदर्शन से हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेने की क्षमता रखते हैं इससे निश्चित ही उनकी कला-प्रतिभा में अवश्य निखार आएगा।

* अपने बच्चों को बचपन से ही हर तरह की सामाजिक हो या स्कूली दिनों में होने वाली तमाम गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहें जिससे वह हर जगह बिना संकोच के अपनी प्रतिभा दिखाने में कामयाब हो सके। अगर बचपन से ही बच्चों में इसी प्रकार के गुणों को विकसित किया गया तो बड़े होकर वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने में कामयाब जरूर होंगे।

* आपका बच्चा अगर जिद्दी, हठी है या फिर पढ़ाई में कमजोर भी है तो भी हर समय उसकी आलोचना न करें। उसके मन में कभी भी यह भाव न पैदा होने दें कि हे भगवान मुझे इस घर में जन्म ही क्यों दिया। बच्चों की बार-बार उपेक्षा करने के कारण बच्चे अपने आपसे आत्मग्लानि करने लगते हैं जिस वजह से उन्हें जरा-सा भी कुछ कहने पर वह कहने लगते है, हाँ! मैं तो ऐसा ही हूँ, और यही बात उनके सफलता में रोड़े अटकाने लगते हैं।

* घर में अगर एक से ज्यादा बच्चे हैं तो कभी भी एक बच्चे को ज्यादा तवज्जो न दें। उसकी हरेक बात न मानें इससे बाकी बच्चों के मन में उस बच्चे के प्रति ईर्ष्या की भावना निर्मित हो सकती है जो आपके बच्चे के प्रगति में घातक सिद्ध हो सकती है। ऐसे में सभी बच्चों के साथ एक समान व्यवहार करें और सभी की बातों को सुनने के बाद ही कोई फैसला करें। कोई भी गलती किसी एक पर न थोपें।