1. बच्चों की मालिश धूप में लिटाकर करनी चाहिए, ताकि उनके शरीर को सूर्य किरणों से 'विटामिन डी' मिल सके। इससे त्वचा विकाररहित और हड्डी मजबूत होगी।
2. कमजोर, अविकसित शरीर वाले और किसी रोग के कारण दुर्बल हुए बच्चों की मालिश कॉड लिवर ऑइल या बादाम के तेल से करना अधिक लाभप्रद रहता है।
3. बच्चे की मालिश नौकरानी से न करवाकर माता को स्वयं करना चाहिए। माँ की ममता और शिशु के प्रति मंगलकारी भावना का बच्चे पर पूरा प्रभाव पड़ता है और मालिश भी सुरक्षित ढंग से होती है। किसी रोग विशेष की स्थिति हो तो फिर विशेषज्ञ से मसाज कराना चाहिए।
4. बच्चे की मालिश जैतून के तेल, मक्खन या गोघृत से करना चाहिए। यदि ये पदार्थ उपलब्ध न हो सकें तो खाने के तेल, नारियल या सरसों का तेल प्रयोग करें।
5. बच्चों की मालिश कोमलता से, हलका दबाव देते हुए और सावधानी से करना चाहिए। जोड़ों पर गोलाकार हाथ चलाकर चारों तरफ मालिश करके अंग को 8-10 बार चलाकर जोड़ों को व्यायाम देना चाहिए। इससे जोड़ मजबूत और शुद्ध होते हैं। नवजात शिशु की 40 दिन तक कम से कम और अधिक से अधिक छह माह तक लोई करके मालिश की जाए तो बहुत हितकारी होगा।