हिन्‍दी को वैश्विक भाषा बनाएंगे-भारत सरकार

गुरुवार, 25 सितम्बर 2014 (19:13 IST)
संयुक्त राष्ट्र के बजट में होने वाली वृद्धि संयुक्त राष्ट्र के समस्त देश पूर्व निर्धारित आनुपातिक आधार पर वहन करते हैं। यहां ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि हिन्‍दी के संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनने में भारत पर पड़नेवाले वित्तीय प्रभावों का महत्व गौण है।
 
मुख्य प्रश्न यह है कि हमें इस प्रस्ताव के लिए कितने सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त होता है– ये बातें विदेश मंत्रालय ने अपने पत्र संख्या U-II/621य2य2011 दिनांक 11 अगस्त 2014 को कलमकार फाउंडेशन के कार्यकारी न्यासी को लिखा था।
 
कलमकार फाउंडेशन की प्रवक्ता वंदना सिंह के मुताबिक कलमकार फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को पत्र लिखकर ये मांग की थी कि हिन्दी को सयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। दरअसल उन दिनों एक खबर छपी थी कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में विदेश मंत्रालय ने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता दिलाने के लिए पहल नहीं की जा रही है।
 
विदेश मंत्रालय के मुताबिक चूंकि इस काम में सालाना 82 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आएगा इस वजह से इस काम को नहीं किया जा रहा है। अपने पत्र में कलमकार फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री को उस खबर का हवाला देते हुए बजट में 82 करोड़ रुपए का प्रावधान करने का अनुरोध किया था। हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने के लिए गंभीरता के कदम बढ़ाने के कलमकार के अनुरोध को प्रधानमंत्री ने गंभीरता से लिया। प्रधानमंत्री के निर्देश पर विदेश मंत्रालय ने बताया है कि इस काम में पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी।
 
मंत्रालय के मुताबिक इस वक्त संयुक्त राष्ट्र में अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, चीनी, स्पेऩिश और अरबी छह आधिकारिक भाषाएं हैं। इनमें से चार भाषाएं तो सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों की भाषाएं हैं तथा अन्य दो सदस्य देशों के समूह द्वारा बोली जाती हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया है कि संयुक्त राष्ट्र में किसी भाषा को शामिल करने के लिए उसका प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पास होना आवश्यक है। उसके बाद उस भाषा पर आने वाले खर्च का आकलन प्रोग्राम बजट इप्लीकेशन करता है। उसके बाद प्रस्ताव का मूल्यांकन होता है और फिर फिफ्थ कमेटी उसका अनुमोदन करती है। इन प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद प्रस्ताव फिर से महासभा के समक्ष रखा जाता है। जहां से उसका पास होना जरूरी है। भारत सरकार के मुताबिक हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के लिए कितने देशों का समर्थन प्राप्त होगा यह देखनेवाली बात होगी।
 
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि सरकार हिंदी को सार्वभौम भाषा के रूप में वैश्विक स्वीकार्यता दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध और प्रयत्नशील है। कलमकार फाउंडेशन की प्रवक्ता ने उम्मीद जताई कि प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका दौरे और संयुक्त राष्ट्र में उनके हिंदी के भाषण के बाद हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने में मदद मिलेगी। कलमकार फाउंडेशन हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रचार प्रसार के लिए प्रतिबद्ध संस्था है।
 

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