'मीडिया विमर्श' का नया अंक 'विजन 2020'

जनसंचार के सरोकारों पर केन्द्रित त्रैमासिक पत्रिका 'मीडिया विमर्श' का जून 2015 का अंक 'भारतीय मीडिया : विजन 2020' पर केन्द्रित है। इस अंक में मीडिया और साहित्य से जुड़े लोगों के आलेख प्रकाशित किए गए हैं। लेखकों ने जहां मीडिया को नसीहतें दी हैं, वहीं बदलाव की वकालत भी की है। 
पत्रकार एवं मीडिया शिक्षक वर्तिका नंदा अपने आलेख में कहती हैं कि मीडिया के पाठ्‍यक्रम में समयानुरूप बदलावों का समय अब शुरू हो गया है, लेकिन यह भी सच है कि मीडिया पर सार्थक और गुणवत्ता वाली किताबों का बेहद अभाव है। लेखिका पुष्पिता अवस्थी का मानना है कि मीडिया को सत्याग्रही होने की आवश्यकता है। 
 
वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक मानते हैं कि नए मीडिया का उफान भाषाई और क्षेत्रीय पत्रकारिता की पतवार के सहारे तेजी से आगे बढ़ेगा। पूंजी का खेल बन चुके धनपति मीडिया को नए मीडिया के सिपाही कम पैसे में अच्छी प‍त्रकारिता कर मुंह चिढ़ाएंगे। पत्रकार विजय मनोहर तिवारी का मानना है कि कि 2020 का मीडिया मूर्खताओं से बचना चाहेगा।
 
वहीं मूल्यानुगत मीडिया के संपादक कमल दीक्षित का मानना है कि भारत में आवश्यकता और आकांक्षा के बारे में नीति हमेशा आवश्यकता के साथ रही है पर अब यह स्थिति संभवत: नहीं है। अब आकांक्षा प्रबल से प्रबलतम हो रही और बाजार उसका साथ दे रहा है। इनके अलावा बालेन्दु शर्मा दाधीच, प्रियदर्शन, उमेश चतुर्वेदी, तेजिन्दर, हृदयनारायण दीक्षित, जगदीश उपासने, मुकेश कुमार, जेम्स मुट्‍टी, रामअवतार यादव आदि लेखक, पत्रकारों के भी आलेख हैं। पत्रिका में 9 आलेख अंग्रेजी में भी हैं। यात्रा संस्मरण, साक्षात्कार, विशेष आलेख भी पत्रिका में हैं। 

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