ख़ुदा ने यह सिफ़त दुनिया की हर औरत को बख़्‍शी है, कि वो पागल भी हो जाए तो बेटे याद रहते हैं - मुनव
बिगड़ते रिश्तों को फिर से बहाल मत करना, जो टूट जाएँ तो उनका ख़याल मत करना।
क्या तवक्को हो मुझे, प्यास बुझेगी 'आरिफ़', जब समंदर यहाँ प्यासा नज़र आता है मुझे - उस्मान 'आरिफ' न
मर जाएँगे जब हम, तो हमें याद करोगे, तुम आज मुहब्बत का सिला क्यों नहीं देते - 'मीना' काज़ी
ज़मीं बंजर भी हो जाए तो चाहत कम नहीं होती, कहीं कोई वतन से भी मुहब्बत छोड़ सकता है।
यहाँ पर इज्जतें मरने के बाद मिलती हैं, मैं सीढ़ियों पर पड़ा हूँ कबीर होते हुए - मुनव्वर राना
मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए, वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुए।
वह जो ठोकर लगाए पत्थर को उसका इक दिन गुरूर टूटेगा बैठ कर रोएगा मुक़द्दर को - अज़ीज़ अंसारी
अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की 'राना', माँ की ममता मुझे बाँहों में छुपा लेती है - मुनव्वर राना
इंसानों को जलवाएगी कल इससे ये दुनिया, जो बच्चा खिलौना भी ज़मीं पर नहीं रखता - मुनव्वर राना
शुक्रिया तेरा अदा करता हूँ जाते-जाते, ज़िंदगी तूने बहुत रोज़ बचाया मुझको - मुनव्वर राना
नशा पिला के गिराना तो सब को आता है, मज़ा तो जब है कि गिरते को थाम ले साक़ी। साक़ी = शराब पिलाने वाला
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा - बशीर बद्र
कोई अब तक न ये समझा कि इंसाँ, कहाँ जाता है, आता है कहाँ से - मोमिन
ये दुख शायद हमारी ज़िंदगी के साथ जाएगा, कि जो दिल पर लगा है तीर उस पर भाई लिखा है - मुनव्वर राना
वो क़ौम की तक़दीर बदलने को उठे हैं, जिन लोगों को बचपन से ही कलमा नहीं आता - मुनव्वर राना
वो अपने ख़ून से लिखने लगा है ख़त मुझको, अब इस मज़ाक को संजीदगी से लेना है - मुनव्वर राना