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महेंद्र तिवारी
आँचल में तेरे मुस्कुराता जीवन
तुझसे महकता सृष्टि का उपवन।
जहाँ में तेरा नहीं कोई सानी
फानी दुनिया तुझे नहीं पहचानी।
ईश्वर से बड़ा दर्जा तेरा
तुझसे जिंदा है वजूद मेरा।
पता होता तू रूठ जाएगी
अकेला मुझे यूँ छोड़ जाएगी।
..तो नहीं करता तुझे नाराज
देखना न पड़ते दिन ये आज।
नहीं बनती जिंदगी जहर
न टूटता मुझ पर ये कहर।
काश! सुन लेता मालिक मेरा रोना
..तो आबाद होता अपना भी अँगना।
तुझसे नहीं मुझे कोई गिला
स्वर्ग-सा सुख तेरी गोद में मिला
तेरी रहमत ने कर दिया निहाल
कैसे दूँ तुम्हारी ममता की मिसाल।