Mother Day 2021 : जो मां को छोड़कर ज्यादा महत्व देते हैं अपनी प्रेमिका या पत्नी को, जरूर पढ़ें

मां पर बचपन में एक कहानी पड़ी थी जो मुझे आज भी याद है। जब भी मुझे किसी बात को लेकर मां पर गुस्सा आता है तो मुझे यह कहानी याद आ जाती है। वह लोग जो अपनी मां पर किसी ना किसी बात को लेकर क्रोधित होते रहते हैं। मां से ज्यादा पत्नी या प्रेमिका को महत्व देते हैं और मां का सम्मान नहीं करते हैं और ना ही मां की परवाह करते हैं तो ऐसे लोगों को यह कहानी जरूर पढ़ना चाहिए।
 
 
सैन्स फ्रांसिक्को का वह नागरिक था। नाम उसका डिसूजा था। जिनसे अपनी मां को प्रेमिका के खातिर छोड़कर अलग घर बसा लिया था। उसकी बहुत तरक्की हुई वह शीप पर सेलर हो गया। कई दफे घर से फोन आया कि तुम्हारी मां बीमार है और वह तुम्हें बस एक बार देखभर लेना चाहती है, लेकिन वह कभी नहीं गया गांव, जबकि पत्नी के एक फोन पर वह छुट्टी की एप्लीकेशन दे देता था।
 
एक दिन जहाज पर वह था तो उसने दूर से देखा कि समुद्री तूफान उसके जहाज की ओर बढ़ रहा है। सतर्कता के लिए सुरक्षित जगह की तलाश करने केलिए वह दौड़ता है तभी शीप के एक गलियारे में देखता है कि उसकी मां खड़ी हुई है। वह अचंभित रह जाता है- 'मां तुम यहां कैसे?'
 
अरे! वह सब बातें छोड़ों बेटा, वह तो बाद में भी कर लेंगे। मेरी सुनो, मुझे अभी पता चला कि सबसे नीचे के फ्लोर में पानी घुस गया है तुझे पीछे के रास्ते से निकलकर ऊपर रखी हुई मोटर बोट का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि तूफान बढ़ने वाला है और जहाज के डूबने की पूर्ण संभावना है।
 
'अच्छा, लेकिन तुम यहां कैसे आई यह तो बताओ?'
 
'मेरे प्यारे बेटे यह सब पूछने का वक्त नहीं है, पहले अपनी जान बचाओ फिर सब बता दूंगी।'
 
'तुम भी चलो मेरे साथ'
 
'ठीक है, तुम आगे-आगे चलो मैं पीछे से आती हूं।'
 
डिसूजा दौड़ता हुआ ऊपरी हिस्से पर जाने लगता है तभी पीछे पलटकर देखता है कि मां पता नहीं कहां चली गई। वह कुछ सोच पाता इसके पहले ही जहाज को जोर से एक झटका लगता है और वह तूफान से घिर जाता है। डिसूजा मां की चिंता किए बगैर लाइफ जैकेट पहनता है और मोटर बोट के लिए मां द्वारा बताए स्थान पर दौड़ पड़ता है।
 
उस तूफानी हादसे में अधिकतर लोगों की जान चली गई, लेकिन डिसूजा बच गया।
 
दूसरे दिन डिसूजा के हाथ में एक पत्र होता है जिसमें लिखा होता हैँ, ''जब तक तुम्हारे पास यह पत्र पहुंचेगा तब तक तुम्हारी मां को दफना दिया जाएगा यदि तुम उसकी शांति के पाठ में आना चाहो तो आ जाना....तुम्हारा पिता।'

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