|
|
अगले पेज पर : सिंधुताई की कहानी, उन्हीं की जुबानी
FILE |
अगले पेज पर : ममता के एक भाव ने बना दिया महाराष्ट्र की मदर टेरेसा
FILE |
अगले पेज पर : सिंधुताई वक्ता का रूप में
FILE |
विशेष : महज चौथी कक्षा तक पढ़ीं ताई जब बोलना शुरू करती हैं तो धाराप्रवाह बोलती चली जाती हैं। वैसे वे हिन्दी भी जानती हैं लेकिन बोलना मराठी में ही पसंद करती हैं। अपनी मातृभाषा को वे अपने लहजे में कलेजे (दिल से निकलकर दिल तक पहुंचे) की भाषा कहती हैं। ताई कहती हैं कि इस देश में भाषण से राशन मिलता है।