तुम्हारी छाती का दर्द
उतर आया मेरे भी भीतर,
बेटी कष्ट में हो तो
दिल मुट्ठी में आना
कहते हैं किसे,
जानने लगी हूं मैं।
महसूस कर सकती हूं
मेरी सफलता पर तुम्हारी खुशी आज,
जब बेटी
कामयाबी का शिखर चूमती है,
क्षमा कर दोगी मां,
मेरी भूलों को,
क्योंकि अब जान गई हूं
कि बच्चे कितने ही गलत हो
मां सदा ही क्षमा करती है।